पंजाब से लेकर दिल्ली तक पिछले तीन दिनों से चल रहे किसानों के आंदोलन की वजह से समस्या गहराती जा रही है। इसको लेकर केंद्र और किसानों के बीच दो दौर की वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन वह अभी तक बेनतीजा रहा। सरकार के सामने किसानों ने जो मांगे रखी है, उनमें से कई ऐसी मांगें हैं, जिन्हें स्वीकार करने के लिए सरकार समय चाहती है। ये मांगें ऐसी हैं, जिनके लिए सभी राज्यों से बात करनी होगी और किसी एक फैसले पर पहुंचने के लिए विशेषज्ञों की कमेटी बनाकर विचार विमर्श करना होगा। हालांकि किसानों की जिद है कि सभी मांगे तुरंत मंजूर की जाएं। ऐसा नहीं होने पर वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
कानून बनाने के लिए राज्यों की सहमति भी जरूरी
किसानों को समझाने के लिए पिछले तीन दिनों से लगातार कोशिशें हो रही हैं, लेकिन न तो कोई सुलह-समझौता हो सका और न ही दोनों पक्ष झुकने को तैयार हैं। सरकार ने किसानों से कहा है न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून बनाने के लिए सभी राज्यों से बात करनी होगी। साथ ही इसमें उद्योग जगत और किसानों के हित समेत वैश्विक नीतियों पर भी विचार करना होगा। कानून बनाने के बाद कई और पेचीदगियां पैदा होंगी। उन पर भी विचार करना होगा।
हर मांग पर तुरंत फैसला लेना संभव नहीं: सरकार
किसान मांग कर रहे हैं कि प्रदूषण कानून से किसान को बाहर रखा जाए और भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 फिर से लागू किया जाए। इन सब मुद्दों पर तुरंत फैसला नहीं लिया जा सकता है। डॉ. एमएस स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से फसलों की कीमत तय कर फसलों के उत्पादन की औसत लागत से पचास फीसदी ज्यादा एमएसपी मिलने के मुद्दे पर भी सहमति बनाने में भी समय लगेगा। सरकार का कहना है कि वह पहले की तुलना में ज्यादा एमएसपी दे रही है।
इन मांगों को लेकर किसान अड़े हुए हैं
- 1- सभी फसलों की खरीद के लिए एमएसपी गारंटी कानून बनाया जाए।
- 2- डॉ. एमएस स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से फसलों की कीमत तय की जाए। सभी फसलों के उत्पादन की औसत लागत से पचास फीसदी ज्यादा एमएसपी मिले।
- 3- किसान और खेत में काम करने वाले मजदूरों का कर्जा माफ किया जाए। किसानों को प्रदूषण कानून से बाहर रखा जाए।
- 4- 60 साल से ज्यादा उम्र के किसानों को 10 हजार रुपये पेंशन दी जाए।
- 5- भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा लागू किया जाए।
- 6- लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा दी जाए। आरोपियों की जमानत रद्द की जाए।
- 7- मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाई जाए।
- 8- विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाए।
- 9- मनरेगा में हर साल 200 दिन का काम और 700 रुपये मजदूरी दी जाए।
- 10- किसान आंदोलन में मृत किसानों के परिवारों को मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए। समझौते के अनुसार, घायलों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। दिल्ली मोर्चा सहित देशभर में सभी आंदोलनों के दौरान दर्ज सभी मुकदमे रद्द किए जाएं।
- 11- नकली बीज, कीटनाशक दवाइयां और खाद वाली कंपनियों पर कड़ा कानून बनाया जाए. फसल बीमा सरकार खुद करे।
- 12- मिर्च, हल्दी और अन्य मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए।
- 13- संविधान की 5वीं सूची को लागू कर आदिवासियों की जमीन की लूट बंद की जाए।
किसान चाहते हैं कि सरकार उनको दिल्ली में एक अच्छी जगह मुहैया कराए। वे वहां पर किसान मोर्चा के लिए शहादत स्मारक बनाना चाहते हैं। इसके अलावा गत्ते का उचित एवं लाभकारी मूल्य (Fair and Remunerative Price – FRP) और एसएपी स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के अनुसार दिया जाए। हल्दी समेत सभी मसालों की खरीद के लिए एक राष्ट्रीय प्राधिकरण बनाई जाए।