केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयकों को लेकर देशभर के किसानों में नाराजगी देखी जा रही है। कई राज्यों में किसान सड़कों पर उतरकर उग्र विरोध प्रदर्शन और चक्का जाम कर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार पी.साईनाथ ने किसानों के विरोध को जायज ठहराते हुए कहा कि ‘कड़वे अनुभव से देश के किसान खौफजदा हैं।’
दरअसल एनडीटीवी के एक प्रोग्राम में बातचीत करते हुए जब पी.साईनाथ से एंकर ने पूछा कि क्या जो नए कृषि विधेयक में कृषि सुधार की बात की जा रही है, उनके आधार में क्या शांताकुमार समिति है? क्योंकि शांताकुमार समिति ने अपनी सिफारिशों में MSP हटाने की बात कही है? इसके जवाब में पी.साईनाथ ने कहा कि किसानों में कड़वे अनुभवों से खौफ का माहौल है।
पी.साईनाथ ने कहा कि साल 2014 में सत्ता में आने से पहले भाजपा ने कहा था कि सत्ता में आने के 12 महीनों में हम स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू करेंगे। लेकिन जब वह सत्ता में आए तो उन्होंने कोर्ट में एक हलफनामा देकर कहा कि समिति की सिफारिशों को लागू करना व्यवहारिक नहीं है और इससे महंगाई बढ़ने की आशंका है।
वरिष्ठ पत्रकार पी.साईनाथ ने आगे कहा कि इसके बाद साल 2016 में तत्कालीन कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा था कि उनकी सरकार ने स्वामीनाथ कमेटी की सिफारिशों को लागू करने का कोई वादा नहीं किया था!
इसके बाद साल 2017 में भाजपा सरकार के कई मंत्री ने मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार के मॉडल को देशभर में लागू करने की बात कही थी।
पी साईनाथ ने आगे कहा कि 2018-19 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा था कि हम स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को रबी फसलों पर लागू कर चुके हैं और खरीफ फसलों पर लागू करने की तैयारी की जा रही है। इसके बाद साल 2020 में मौजूदा कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा है कि हम इकलौती पार्टी हैं, जो स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों की इज्जत करती है।
पी साईनाथ ने सरकार के इन बदले बयानों को ही किसानों में डर का माहौल होने का कारण बताया। बता दें कि कृषि विधेयकों के खिलाफ देश में अलग अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और संसद से पास हुए विधेयकों को वापस लिए जाने की मांग की जा रही है।