कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार ने जहां किसानों के आगे कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव रखा है तो वहीं कानूनों को निरस्त करने की मांग भी खत्म होते दिख नहीं रही है। जहां एक ओर किसान यूनियन की ओर से किसान नेता सरकार के प्रतिनिधियों से लगातार बातचीत कर रहे हैं वहीं किसान आंदोलन के समर्थक पीएम मोदी तक किसानों की बात पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। किसानों के ‘मन की बात’ पीएम मोदी तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।
पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम, जिसमें अक्सर पीएम अपने मन की बात देश के लोगों से कहते हैं, की ही तर्ज पर किसानों के मन की बात की पहल की गई है। लोगों से कहा गया है कि वे कृषि कानूनों को लेकर पीएम मोदी को अपने मन की बात बताएं। पोस्ट कार्ड के जरिए ये बात पहुंचाई जा रही है।
अभियान अपने आप में अलग है, ‘भारत के मन की बात सुनो,किसानों के मन की बात सुनो’ की शुरुआत ‘हमारी आवाज ’ संगठन ने की है। इस कैंपेन को चलाने वालों में से एक कंवरदीप कौर ने बताया कि पीएम मोदी मन की बात कार्यक्रम के जरिए देश के लोगों तक पहुंचते हैं। हमने सोचा कि किसानों के मन की बात पीएम मोदी तक पहुंचाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा,“अब पीएम मोदी को किसानों की मन की बात सुननी चाहिए। हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन सरकार उनकी सुन नहीं रही है। भारत एक लोकतंत्र है और पीएम मोदी तक किसानों की बात पहुंचाना जरूरी है।”
‘हमारी आवाज’ का लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा लोग प्रधानमंत्री के नाम चिट्ठी लिखें। कौर ने बताया कि 10,000 से ज्यादा पोस्टकार्ड किसानों द्वारा भेजे गए हैं। उन्होंने बताया, “सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर किसानों से पोस्टकार्ड भरवाए जा रहे हैं। इसके अलावा और जगह से भी पोस्टकार्ड भरवाए जा रहे हैं।”
‘हमारी आवाज’ के एक वॉलंटियर ने बताया, “किसानों के हक के लिए हम पीएम को पोस्टकार्ड लिख रहे हैं। संविधान हमें हमारी बात रखने का हक देता है। हम पीएम के मन की बात का सम्मान करते हैं इसलिए ‘भारत के मन की बात सुनो’ अभियान शुरू किया है।