हरियाणा के विधानसभा चुनाव में धान की सरकारी खरीद में देरी और कीमतों में गिरावट का मुद्दा अहम हो गया है। धान की सरकारी खरीद सूबे में 23 सितंबर से शुरू होनी थी लेकिन आखिरी समय पर सरकार ने यह खरीद एक अक्तूबर से शुरू करने का नया आदेश जारी कर दिया। इसकी वजह सूबे में ज्यादा बारिश होना बताई जा रही है। यह बात दीगर है कि धान खरीद में देरी होने से किसानों की परेशानी बढ़ गई हैं। हरियाणा में धान का बाजार भाव पिछले साल के मुकाबले 500 से 700 रुपए कुंतल तक गिर गया है। सरकारी खरीद शुरू न होने के कारण जरूरतमंद किसान कम दाम पर धान बाजार में बेचने को मजबूर हैं। धान खरीद का मुद्दा कृषि प्रधान राज्य के सियासी मूड पर असर डाल सकता है।

किसानों ने धान की खरीद में देरी के मुद्दे पर विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। करनाल, यमुनानगर और कैथल समेत कई जगह किसानों ने प्रदर्शन किया। यमुनानगर में तो अनेक किसान धान लेकर लघु सचिवालय पहुंच गए और सैनी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। नाराज किसानों ने कैथल-दिल्ली मार्ग पर चक्का जाम भी किया।

अखिल भारतीय किसान कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग पूनिया ने कहा कि मंडियों में खरीद न होने के कारण किसान एमएसपी से कम दाम पर धान बेचने के लिए मजबूर है और कृषि मंत्री एमएसपी को मजबूत करने के जुमले फेंक रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि धान का एमएसपी सरकार ने 2300 और 2320 रुपए तय किया है लेकिन किसानों को अपना धान 2000 रुपए की दर से बेचना पड़ रहा है क्योंकि सरकारी खरीद में देरी हो रही है।
हरियाणा में अगेती बुवाई वाला धान मंडियों में आना शुरू हो चुका है। अनाज मंडियों में 1509 धान के साथ मोटे धान (पीआर) की आवक भी शुरू हो गई है। गैर सरकारी खरीदार कम भाव पर धान खरीद रहे हैं। पिछले साल 1509 धान का भाव 3500 रुपए कुंतल से अधिक था, लेकिन इसका भाव 2800-3000 रुपए के है।

आगामी चुनाव में किसानों के मुद्दे साबित होंगे निर्णायक

भारतीय किसान यूनियन (शहीद भगत सिंह) के नेता तेजवीर सिंह के मुताबिक किसान मंडियों में धान लेकर आ रहे हैं लेकिन खरीद की कोई व्यवस्था नहीं है। आगामी विधानसभा चुनाव में किसानों के मुद्दे निर्णायक साबित होंगे। 22 सितंबर को पीपली में हुई किसान महापंचायत में बड़ी तादाद में किसान जुटे थे। तीन अक्तूबर को किसान रेल रोको आंदोलन करेंगे। तीन अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी कांड की बरसी है। जबकि पांच अक्तूबर को हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा।

आल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया का मानना है कि खाद्यान्न से जुड़ी नीतियों में खामियों के चलते किसान, व्यापारी और आम जनता सभी को नुकसान पहुंचा है। खरीफ सीजन में हरियाणा में होने वाली कुल बुवाई का लगभग आधा (49 फीसद) हिस्सा धान का होता है। बाकी आधे में कपास, बाजारा, ग्वार जैसी खरीफ की अन्य फसलें हैं। धान में भी लगभग 56 फीसद यानी आधे से अधिक क्षेत्र हरियाणा में बासमती धान की किस्मों का होता है। गैर-बासमती किस्मों की खरीद सरकारी एजंसियों द्वारा एमएसपी पर हो जाती है जबकि बासमती धान को अधिकतर निर्यात या घरेलू मांग के लिए व्यापारी खरीदते हैं।

सीएम सैनी ने एमएसपी को लेकर किए वादे

गौरतलब है कि चुनाव से पहले किसानों को लुभाने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सभी 24 फसलों की खरीद एमएसपी पर करने का एलान किया था। लेकिन देखना यह है कि धान खरीद के मामले में सैनी अपने वादे पर कितना खरा उतरते हैं। गढ़ में चुनावी रण में ताल ठोक रहे हैं। जींद जिले की उचाना कलां विधानसभा सीट पर जजपा उम्मीदवार एवं हरियाणा के पूर्व उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के सामने 66 गांवों के प्रतिनिधियों ने आजाद पालवा को अपना उम्मीदवार बनाया हुआ है। बेरी में अमित अहलावत और सोनू अहलावत के साथ 360 महरौली के प्रमुख गोवर्धन सिंह भी चुनावी रण में बने हुए हैं।