केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन दिल्ली से सटी सीमाओं पर पिछले 65 दिन से जारी है। इसे लेकर मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कुछ बातें कहीं हैं। मलिक ने रविवार को द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने केंद्र सरकार को सलाह दी है कि किसानों का अपमान नहीं किया जा सकता है और उन्हें वापस जाने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
मेघालय के राज्यपाल ने कहा कि सरकार को किसानों से बात करनी चाहिए और इसका कोई समाधान निकालना चाहिए। मालिक ने कहा ” मैं सावधान करते हुए यह बताना चाहता हूं कि दुनिया के किसी भी आंदोलन को दबाकर और कुचलकर शांत नहीं किया जा सकता है।” पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट नेता मलिक ने कहा कि इस सप्ताह की शुरुआत में यूपी पुलिस द्वारा आंदोलनकारी किसानों को गाजियाबाद से बाहर निकालने के प्रयास से स्थिति और खराब हो गई है।
मलिक ने टेलीफोन पर द इंडियन एक्सप्रेस को बताया “मैं एक ऐसा व्यक्ति हूं जो संवैधानिक पद पर बैठा है। मुझे इस तरह की कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। लेकिन यह किसानों का मुद्दा है और मैं चुप नहीं रह सकता। मैंने पहले ही प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा के माध्यम से इस मुद्दे को तुरंत हल करने का अनुरोध किया है।”
मालिक ने कहा “किसानों का अपमान नहीं किया जा सकता। आप उन्हें अपमानित कर विरोध प्रदर्शनों से वापस नहीं भेज सकते। मलिक ने कहा कि आपको उन्हें बातचीत में शामिल करना चाहिए। मेघालय के राज्यपाल ने कहा कि प्रधान मंत्री मोदी का किसानों के बीच बहुत समर्थन है। उसके पास शक्ति है। उन्होंने कहा कि उन्हें व्यापकता दिखानी चाहिए और इस मुद्दे को हल करने के लिए इसपर चर्चा करनी चाहिए।
गवर्नर ने कहा कि अगर सरकार अपनी तरफ से कोशिश करे तो इस मुद्दे को सुलझाया जा सकता है। पश्चिमी यूपी के किसान नेताओं ने कहा कि वे इस मुद्दे को सुलझाने के लिए तैयार हैं। मालिक ने कहा “किसान तैयार हैं … अगर सरकार की मंशा है, तो इसे सुलझाया जा सकता है।”
हरियाणा और उत्तर प्रदेश की खाप पंचायतों के बाद पंजाब की पंचायतें भी किसान आंदोलन को तेज करने में जुट गईं हैं। शुक्रवार को, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के गांवों के किसान गाजीपुर बार्डर कि तरफ ट्रैक्टर ट्रॉलियों और राशन और पानी की बोतलों से लदे ट्रकों से आते दिखे।