गुरुवार को किसान संगठनों ने एक साल से भी अधिक समय से दिल्ली की सीमा पर चल रहा किसान आंदोलन ख़त्म करने का ऐलान किया। किसान संगठनों के ऐलान के बाद 11 दिसंबर से सभी धरने समाप्त हो जाएंगे। इसी बीच किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा बन चुके किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर गड़बड़ हुई तो फिर यहीं आ बैठेंगे। साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा ने भी कहा कि अभी यह आंदोलन स्थगित किया जा रहा है और अगर जरूरत पड़ी तो दोबारा शुरू कर दिया जाएगा।
गुरुवार को संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग से पहले पत्रकारों से बातचीत करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर कुछ भी गड़बड़ हुई तो हम यहीं हैं। कोई कहीं नहीं जा रहा है। फिर यहीं आ बैठेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से जो चिट्ठी मिली है उसे हम सही से पढ़ेंगे। वो समझ कर हमारे 5 लोग हैं जो जवाब देंगे।
गुरुवार को सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को लेकर किसान नेताओं के बीच हुई बैठक में आंदोलन ख़त्म करने की घोषणा की गई। संयुक्त किसान मोर्चा की पांच सदस्यीय कमेटी में शामिल किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि जीत का ऐलान हो गया है। 11 तारीख को हम सभी धरने समाप्त कर रहे हैं। सरकार ने जो वादे किए हैं उसके मुताबिक हम आंदोलन को स्थगित कर रहे हैं। हम हर महीने उसकी समीक्षा करते रहेंगे। अगर सरकार अपने वादों से हिलती है तो दोबारा से आंदोलन करने पर विचार करेंगे।
वहीं किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि हम बड़ी जीत लेकर जा रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि यह आंदोलन ख़त्म नहीं स्थगित हुआ है। हम अहंकारी सरकार को झुकाकर जा रहे हैं। किसान 11 दिसंबर को घर वापसी करेंगे। आने वाले 15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की समीक्षा बैठक होगी। बता दें कि 13 दिसंबर को सभी किसान संगठनों के नेता अमृतसर स्थित श्री दरबार साहिब जाएंगे। इसके बाद 15 दिसंबर से पंजाब के अलग अलग जिलों में भी चल रहा मोर्चा खत्म हो जाएगा।
गौरतलब है कि गुरुवार को सरकार की तरफ किसान नेताओं को चिट्ठी भेजी गई। जिसमें एमएसपी सहित सभी मुद्दों का समाधान करने का आश्वासन दिया गया। सरकार की ओर से भेजी गई चिट्ठी में एमएसपी को लेकर एक कमेटी बनाने की बात कही गई है। जिसमें किसान संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। इसके अलावा सरकार ने आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों पर दर्ज हुए मुक़दमे वापस लेने और मृतक किसानों के परिवारजनों को मुआवजा देने की बात भी कही है। साथ ही पराली जलाने को लेकर कैद और जुर्माने का प्रावधान हटाने का आश्वासन भी दिया गया है।