पिछले करीब नौ महीनों से तीन कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत और अन्य लोगों ने 15 अगस्त को दिल्ली में झंडा फहराने का अपना प्लान बदल दिया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली के वाल्मीकि मंदिर पर हमारा झंडा फहराने की योजना थी, लेकिन वहां पर नौ साल की बच्ची के साथ जो दरिंदगी हुई है, उसको देखते हुए यह योजना वापस ले ली गई है।

राकेश टिकैत ने कहा कि हम सब लोग पीड़ित परिवार के साथ हैं और हमारी संवेदना उनके साथ है, लेकिन हम अब झंडा वहां नहीं बल्कि उत्तराखंड में नेपाल के बार्डर के पास एक गांव में फहराएंगे। उन्होंने बताया कि दिल्ली की घटना दिल दहला देने वाली है और हम ऐसे में यह कार्य नहीं कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि देश के लिए ओलंपिक में पदक जीतकर लौटे खिलाड़ी पूरे देश के खिलाड़ी हैं। वे किसी एक गांव या एक शहर के नहीं हैं। कहा कि अगर गांव लड़कों को वह सुविधाएं मुहैया हों, जो शहर के लड़कों को मिलती है तो वे हर बार पदक जीतकर आएंगे।

किसान नेता ने कहा कि गांव के लड़के किसी स्विमिंग पूल में बैठकर तैराकी नहीं सीखते हैं, वे तालाबों और पोखरों में ही सीख जाते हैं, वे ज्यादा मजबूत और सहनशील होते हैं, बावजूद इसके उनको कोई अवसर कम मिलता है। इसकी वजह से वे बड़े खेल प्रतियोगिताओं में कम ही भाग ले पाते हैं।

कहा कि खिलाड़ी अपना ध्यान खेल पर ही लगाएं। आंदोलन करने के लिए हम लोग हैं। जिसका जो काम है, वह उस पर ध्यान दे। पुलिस का काम करने वाले पुलिस का काम करें। फौज में शामिल बच्चे सीमाओं की रक्षा पर ध्यान दें। आंदोलन हम लोगों के लिए छोड़ दें। हम लोग सरकार से अपनी लड़ाई लड़ते रहेंगे और जब तक मांगे मान नहीं ली जाती है तब तक आंदोलन करते रहेंगे।