पिछले छह महीने से भी अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन चल रहा है। किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इस आंदोलन का प्रमुख चेहरा बन चुके किसान नेता राकेश टिकैत ने अपने ट्विटर अकाउंट से रेंजर साइकिल की सवारी करते हुए अपनी फोटो डाली और सरकार पर निशाना साधा। राकेश टिकैत ने कहा कि मोदी जी, अब तो सड़कें भी घर लगने लगी हैं।
हमेशा देशी ठाठ बाट में रहने वाले किसान नेता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को अपने ट्विटर अकाउंट से रेंजर साइकिल की सवारी करते हुए अपनी फोटो डाली। राकेश टिकैत ने इस फोटो को शेयर करते हुए सरकार पर निशाना भी साधा। राकेश टिकैत ने लिखा कि मोदी जी अब तो सड़कें घर लगने लगी हैं और दिनचर्या भी उसी तरह से बन गयी है। किसान थकने वाले नहीं हैं। आप किसानों के प्रति नफरत छोड़कर किसानों को उनका हक दो।
मोदी जी अब तो सड़के घर लगने लगी है और दिनचर्या भी उसी तरह से बन गयी है ।किसान थकने वाले नहीं हैं ।आप किसानों के प्रति नफरत छोड़कर किसानों को उनका हक दो#WhyModiHatesFarmers @AHindinews @PTI_News @news24tvchannel @AmarUjalaNews @Vaibhav_AAP @TheDailyPioneer @punjabkesari pic.twitter.com/tYzGp495qt
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) June 25, 2021
बता दें कि 26 जून को किसान आंदोलन के 7 महीने पूरे हो जाएंगे। इस दिन किसान बड़ी संख्या में दिल्ली की सीमाओं पर जुटेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर किसान 26 जून को कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस मनाएंगे। वहीं गाजीपुर बॉर्डर पर कल ट्रैक्टर रैली भी निकाली जाएगी और किसान इसकी तैयारियां भी कर रहे हैं। राकेश टिकैत ने कहा है कि आज इसकी रिहर्सल की जाएगी और कल ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी।
इसके अलावा 26 जून को देशभर के किसान अपने अपने राज्यों के राज्यपाल भवन पर धरना प्रदर्शन भी करेंगे। किसान अपना ज्ञापन राज्यपाल को सौंपेंगे। इस दौरान दूसरे राज्यों के किसान दिल्ली की सीमाओं को पार नहीं करेंगे। किसान राकेश टिकैत ने कहा कि 26 जनवरी को दूसरे राज्यों के किसान दिल्ली की सीमा में दाखिल नहीं होंगे। दिल्ली के किसान ही वहां के उप राज्यपाल को अपना ज्ञापन देंगे।
तीनों कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध जारी है। आखिरी बातचीत 22 जनवरी को हुई थी। सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक रोकने का प्रस्ताव दिया था लेकिन किसान संगठनों ने इसे नामंजूर कर दिया था। हालांकि पिछले दिनों किसान संगठनों ने सरकार को पत्र लिखकर दोबारा से बातचीत बहाल करने का अनुरोध किया था। लेकिन सरकार ने साफ कह दिया है कि वे किसान संगठनों के साथ किसी भी प्रावधानों पर बातचीत करने को तैयार हैं लेकिन कृषि कानूनों को वापस लेने पर कोई बात नहीं होगी।