Jagjit Singh Dallewal hunger Strike: हरियाणा-पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन जारी है। इस आंदोलन में मौजूद सरदार बूटा सिंह पंजाबी भाषा में कहते हैं- “ऐ बेबे नानक दा लंगर ऐ, सेंटर जिन्ना मर्जी धक्का कर ले, ऐ नी रुकदा (यह गुरु नानक का लंगर है, केंद्र जितनी चाहे उतनी ताकत लगा ले, यह नहीं रुकेगा)। खनौरी बॉर्डर पर बुजुर्ग किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले एक महीने से ज्यादा वक्त से आमरण अनशन पर बैठे हैं और उनके गिरते स्वास्थ्य को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी चिंता जताई है।
जगजीत सिंह डल्लेवाल संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता हैं। उनके नेतृत्व में किसान आंदोलन को एक बार फिर मीडिया में सुर्खियां मिली हैं।
किसान खनौरी बॉर्डर पर फरवरी, 2024 से बैठे हुए हैं। याद दिलाना होगा कि इससे पहले भी साल 2020-21 में दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों ने मोदी सरकार की ओर से लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ जोरदार आंदोलन किया था।
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बुजुर्ग किसानों ने जमाया डेरा
पंजाब सरकार की कोशिश है कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराया जाए लेकिन सभी किसानों ने ऐसा न होने देने के लिए पूरा जोर लगा दिया है और ट्रैक्टर-ट्रालियों से उनके आसपास घेरा बना लिया है। डल्लेवाल के आसपास बड़ी संख्या में बुजुर्ग किसान जमा हुए हैं।
पिछली बार के किसान आंदोलन और इस बार के किसान आंदोलन में कुछ बड़े अंतर हैं। इस बार बड़े-बड़े स्पीकर से पंजाबी गाने बजाने वाली लग्जरी गाड़ियां, एनआरआई समर्थक और सेलिब्रिटी नहीं दिखाई दे रहे हैं। इस बार एक छोटे से मंच पर गद्दे बिछाए गए हैं और लाउडस्पीकर पर गुरबाणी और शब्द कीर्तन बजाए जा रहे हैं।
पिछली बार की ही तरह चल रहा है लंगर
पिछले किसान आंदोलन और इस बार के आंदोलन में एक चीज जो बिल्कुल वैसी ही है वह है लंगर। यहां हर वक्त लस्सी, गर्म दूध, चाय, खीर, रोटी- दाल-सब्जी और कड़ाह प्रसाद परोसा जा रहा है। दान में आए सामान का हिसाब-किताब भी रखा जाता है।
पटियाला के रहने वाले बूटा सिंह साल 2020 में सिंघु बॉर्डर पर हुए आंदोलन में भी शामिल थे। बूटा सिंह द इंडियन एक्सप्रेस से कहते हैं, “दान देने के लिए आपकी नेक भावना काम करती है। हर किसान जो अपने दिल की आवाज सुनता है, वह इस आंदोलन में आ रहा है।”
बूटा सिंह के साथ ही किसान आंदोलन में शामिल शमशेर सिंह उन्हें चाय देते हुए कहते हैं, “पिछले आंदोलन में दिखावा थोड़ा ज्यादा था लेकिन इस बार यह आंदोलन हमारे नेता की जिंदगी का सवाल है।” बरनाला के रहने वाले बलविंदर सिंह धरना स्थल पर चलने वाले लंगर का काम संभाल रहे हैं।
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…5 और किसान हैं तैयार
बलविंदर सिंह कहते हैं कि पीने के पानी और दूध से लेकर कच्ची सब्जियां और खाने के तेल तक लगातार दान आ रहा है। बलविंदर सिंह कहते हैं कि हमें सब कुछ अपने गांव से मिल रहा है और हम किसी से कुछ नहीं मांगते। जगजीत सिंह डल्लेवाल के तंबू में मौजूद एक किसान दान की किताब दिखाते हुए बताते हैं कि हमें 100 से लेकर 10 हजार रुपये तक दान मिल रहा है। वह कहते हैं कि अगर जगजीत सिंह अपना अनशन खत्म कर देते हैं तो 5 और किसान उनकी जगह लेने के लिए तैयार हैं।
शमशेर सिंह से जब यह पूछा गया कि क्या राजनीतिक दल भी किसी तरह का चंदा दे रहे हैं तो वह कहते हैं कि हम इसे वापस कर देते हैं। बरनाला के रहने वाले बलौर सिंह कहते हैं कि बीजेपी की सरकार ने उन्हें आंदोलन करने के लिए मजबूर किया है क्योंकि सरकार अपने वादे भूल गई।
सरकार ने हमारे सामने कोई रास्ता नहीं छोड़ा
बलौर सिंह कहते हैं कि हमने यह आंदोलन इसलिए शुरू किया क्योंकि हम सरकार को याद दिलाना चाहते हैं कि उसने वादा किया था कि वह स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करेगी और एमएसपी को कानूनी गारंटी देगी। बलौर सिंह कहते हैं कि सरकार ने हमारे सामने कोई रास्ता नहीं छोड़ा और जैसे ही सरकार अपने वादे पूरे करेगी, हम यहां से चले जाएंगे।