किसान MSP सहित अपनी अन्य मांगों को लेकर बुधवार को दिल्ली कूच की तैयारी में थे। किसानों का दावा है कि इस दौरान पुलिस से झड़प के कारण खनौरी बॉर्डर पर 22 साल के किसान की मौत हो गई। युवा किसान की मौत की वजह से किसान काफी भड़के हुए हैं। मरने वाले किसान का नाम शुभकरण सिंह है। वह काफी मेहनती था। शुभकरण और उनके चाचा चरणजीत सिंह ने करीब 20 एकड़ जमीन ठेके पर ली थी। वे उस जमीन पर खेती करते थे। वे पुशओं की देखभाल भी करते थे। खेती के लिए शुभकरण ने बैल भी रखे थे।

किसानों का कहना है कि सिर में चोट लगने के कारण शुभकरण की मौत हुई। किसानों का यह भी कहना है कि पुलिस ने गोली चलाई थी। हालांकि पुलिस का कहना है कि किसान शुभकरण की मौत पुलिस के कारण नहीं हुई। अब यह मामला गंभीर होता जा रहा है। किसानों के बीच काफी रोष है। वहीं मामले की जांच के लिए पंजाब सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं।

दर्ज होगी एफआईआर

किसानों के रोष के बाद पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा है कि शुभकरण के पोस्‍टमार्टम के बाद एफआईआर दर्ज की जाएगी। उन्‍होंने आगे कहा कि हरियाणा पुलिस का जो भी अधिकारी शुभकरण की मौत के लिए जिम्‍मेदार होगा उसके खिलाफ सख्‍त से सख्‍त कार्रवाई की जाएगी।

खुद बनाया सुबह का नाश्ता

किसानों ने कहा कि दो साल पहले भी शुभकरण किसान आंदोलन में शामिल हुआ था। उसने सुबह का नाश्ता खुद बनाया और फिर दोस्तों के साथ मिलकर खाया। उसने दोस्तों से कहा कि साथ खा लो यारों, पता नहीं फिर कब साथ में खाना नसीब हो।

मेहनती था शुभकरण सिंह

देर शाम भटिंडा जिले के रामपुरा फूल शहर से लगभग 15 किमी दूर बलोह गांव में शुभकरण सिंह के परिजन औऱ गांव वाले शव का इंतजार करते रहे। लोगों ने बताया कि शुभकरण सिंह काफी मेहनती था। उसने लीज पर खेती ली थी। वह मेहनत से परिवार का पोषण करता था। उसे अपने सपने पूरे करने थे। एक दोस्त ने बताया कि शुभकरण और उनके चाचा चरणजीत सिंह ने 20 एकड़ जमीन ठेके पर ली थी। वे पशु पालन भी करते थे।

माता-पिता का हो चुका है तलाक

शुभकरण ने 12वीं कक्षा पूरी करने से पहले ही पढ़ाई छोड़ दी थी। वह एक सफल किसान बनना चाहता था। इसलिए वह खेती में लग गया। उसके माता-पिता का तलाक हो गया। उसका पालन पोषण दादा ने किया था। उसने अपने परिवार की जिम्मेदारी ले ली थी। उसकी दो बहने हैं। उसकी दादी का 6 साल पहले निधन हो गया था। मां से उनका कोई संपर्क नहीं था। पिता की तबीयत भी ठीक नहीं रहती थी। वे एक स्कूल वैन में कंडक्टर के रूप में काम करते थे।

शुभकरण के पास केवल दो एकड़ जमीन थी। उसके पास सबके कीमती सामान उसके कृषि उपकरण हैं। उसके घर के कमरे के तीन कोनों में दो मैनुअल स्प्रे पंप, और डीएपी (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) उर्वरक की एक बोरी और चावल के तीन बैग रखे हुए हैं। उसका घर गांव के बाहर खेत के पास है। वहां तक पहुंचना आसान नहीं है। उसके घर में तीन कमरे हैं और पुराने तरीके से बनाई गई रसोई है। यह घर 1990 के दशक के पंजाब की यादें ताजा कर देता है।

दो बहनों की थी जिम्मेदारी

लोग कहते हैं कि पंजाब के युवा खराब हो रहे हैं। यह शुभकरण का कमरा है। यही उसकी जिंदगी थी। वह अपनी जीविका चलाने के लिए अनुबंध पर खेती करता था। शुभकरण की मौत से उसकी बहने सदमे में है। उनका सहारा उनका भाई ही था।

अधिकारों के लिए आवाजा उठाना जानता था

एक और दोस्त ने कहा, “जब भी भारतीय किसान यूनियन सिद्धुपुर ने विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया तो शुभकरण हमेशा की तरह सबसे आगे खड़ा था। उसका मानना ​​था कि अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाना किसानों की जिम्मेदारी है।”

वहीं सोशल मीडिया पर खबर सुनकर शुभकरण के चाचा चरणजीत सिंह पटियाला के लिए रवाना हो गए। वे राजिंदरा अस्पताल पटियाला पहुंचे। फिलहाल मामले में आगे की जांच की जा रही है।