देश के मशहूर वकील व पूर्व केंद्रीय मंत्री राम जेठमलानी का रविवार को निधन हो गया। 95 वर्षीय जेठमलानी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। पिछले दो सप्ताह से उनका इलाज चल रहा था। उनके परिवार में उनके बेटे और वकील महेश जेठमलानी और एक बेटी हैं।
राम जेठमलानी अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में कानून मंत्री और शहरी विकास मंत्री रहे। जेठमलानी फिलहाल राष्ट्रीय जनता दल की तरफ से राज्यसभा सांसद थे। वह मुंबई से छठी और सातवीं लोकसभा के लिए दो बार भाजपा के टिकट पर सांसद भी रहे। उन्होंने साल 2004 में अटल बिहार वाजपेयी के खिलाफ लखनऊ से चुनाव भी लड़ा।
राम बूलचंद जेठमलानी का जन्म पंजाब के सिंध प्रांत में 14 सितंबर 1923 को हुआ था। 17 साल की उम्र में कानून की पढ़ाई कर उन्होंने पहले केस सिंध कोर्ट में लड़ा था। उस समय वह सिंध में सबसे कम उम्र के वकील थे। उस समय केस लड़ने की न्यूनतम उम्र 21 साल थी।
उन्होंने सिंध के तत्कालीन चीफ जस्टिस को उम्र में छूट देने संबंधी स्पेशल रिजोल्यूशन पारित करने के लिए दबाव डाला था। इसके बाद उन्हें केस लड़ने की अनुमति मिली थी। देश के विभाजन से पहले तक वह कराची की अदालत में वकालत करते थे। विभाजन के बाद 1948 में वह भारत आ गए।

जेठमलानी बतौर वकील 78 साल तक वकालत की। बताया जाता है इमरजेंसी कै दौरान गिरफ्तारी वांरट निकलने पर करीब 300 वकीलों ने राम जेठमलानी का केस लड़ा था। साल 2013 में उन्होंने पार्टी पर भ्रष्टाचार के खिलाफ चुप्पी साधने का आरोप लगाया। इसके बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।
1987 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ाः राम जेठमलानी ने 1987 में राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की। उन्होंने भारत मुक्ति मोर्चा के नाम से एक राजनीतिक मोर्चे का भी गठन किया था। इसके बाद 1995 में उन्होंने अपनी एक राजनीतिक पार्टी पवित्र हिंदुस्तान कषगम की शुरुआत की। पार्टी का उद्देश्य भारतीय लोकतंत्र में पारदर्शिता लाना था।