With PTI Inputs: अतीक अहमद की मौत के बाद उसकी जिंदगी से जुड़े किस्से भी सामने आ रहे हैं। एक किस्से में दावा किया गया कि साल 2008 में अतीक ने परमाणु समझौते के मुद्दे पर तत्कालीन मनमोहन सरकार को गिरने से बचाया था। दावा किया गया कि जुलाई 2008 में जब देश में भारत-अमेरिका के बीच होने वाली न्यूक्लियर डील की चर्चा थी अतीक ने यूपीए सरकार का साथ दिया था। जांच में यह खबर झूठी पाई गई है। संसद के रिकॉर्ड के अनुसार भी अतीक के इस मुद्दे पर वोट देने का रिकॉर्ड नहीं मिला है।

क्या है पूरा मामला?

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था कि परमाणु समझौते को लेकर मनमोहन सरकार पर खतरा मंडराने लगा तो किसी तरह कांग्रेस पार्टी ने बहुमत साबित करने के लिए जरूरी प्राप्त सांसदों का बहुमत जुगाड़ लिया और यूपीए की सरकार बच गई। दावा किया गया अतीक अहमद ने भी इसके लिए यूपीए के पक्ष में वोट किया। PTI की एक रिपोर्ट में ‘बाहुबली ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स: फ्रॉम बुलेट टू बैलट’ नाम की एक किताब का हवाला देते हुए बताया गया था कि अतीक अहमद ने मनमोहन सिंह सरकार के पक्ष में वोट डाला था, जो बूमलाइव के फैक्ट चेक में गलत साबित हुआ। संसद के रिकॉर्ड के अनुसार भी यह दावा गलत है।

PTI की रिपोर्ट में दावा किया गया कि लोकसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, 22 जुलाई 2008 को सदन ने तब के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा पेश किए गए विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की गई। सरकार के विश्वास मत के समर्थन में 275 सासंदों ने वोट किया जबकि विरोध में 256 ने मत डाला।। सरकार के विरोध (प्रस्ताव के खिलाफ मतदान) में वोट डाले वाले सांसदों की लिस्ट में अतीक अहमद का नाम भी शामिल था। इसके बाद अतीक अहमद को समाजवादी पार्टी ने पार्टी से निष्कासित कर दिया था।

कौन था अतीक अहमद?

माफिया अतीक अहमद ने खुद की पहचान एक राजनेता, ठेकेदार, बिल्डर, प्रॉपर्टी डीलर और कृषक के रूप में बनाई, लेकिन उसके खिलाफ अपहरण, जबरन वसूली और हत्या सहित गंभीर आपराधिक आरोप भी थे। बता दें, अतीक अहमद और उसके भाई पूर्व विधायक अशरफ की प्रयागराज के एक अस्पताल के बाहर शनिवार को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। दोनों को गोली उस वक्त मारी गई थी, जब उनको पुलिस कस्टडी में मेडिकल जांंच के लिए ले जाया जा रहा था। अपराधियों ने मीडियाकर्मी बनकर इस घटना को अंजाम दिया था। पुलिस ने तत्काल तीनों अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया। तीनों यूपी के अलग-अलग जिले हमीरपुर, बांदा और कासगंज के रहने वाले हैं। वहीं इससे पहले गुरुवार को अतीक के बेटे असद और उसके सहयोगी गुलाम को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था।