विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और चीन के बीच लद्दाख स्थित एलएसी पर जारी तनाव को लेकर बातचीत जारी है और दोनों पक्षों के बीच कुछ ऐसा हो रहा है, जो बेहद गोपनीय है। एक ऑनलाइन कॉन्क्लेव के दौरान जब विदेश मंत्री से मौजूदा समय में चीन से जारी सैन्य और राजनयिक स्तर की बातचीत के नतीजों पर सवाल किए गए, तो उन्होंने छिपाने के अंदाज में कहा कि बातचीत जारी है और यह वर्क इन प्रोग्रेस है।

ऑनलाइन सेशन के दौरान जयशंकर ने यह भी दोहराया कि एलएसी पर इस वक्त जिस तरह से सेनाएं जुटी हैं, वैसी मिसाल पहले कभी नहीं मिली। बता दें कि भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पिछले पांच महीने से एलएसी पर आमने-सामने हैं। ब्लूमबर्ग इंडियन इकोनॉमिक फोरम पर जब इस बारे में पूछा गया तो जयशंकर ने कहा, “मैं सार्वजनिक तौर पर इस मुद्दे पर ज्यादा कुछ नहीं कह सकता। जाहिर तौर पर मैं इस बात पर पूर्वानुमान नहीं लगाना चाहता।”

तिब्बत के हालात और एलएसी पर जारी विकास कार्यक्रमों पर जयशंकर ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि हमें उन मुद्दों पर पड़ना चाहिए जिनका लद्दाख में चल रहे मौजूदा हालात से कोई लेना-देना नहीं है।” जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के बीच 1993 में शांति बनाए रखने को लेकर हुए कुछ समझौतों के बाद से रिश्ते बेहतर हुए हैं। पिछले 30 साल में हमने ऐसे संबंध बनाए, जो कि सीमा पर शांति और सद्भाव के मुद्दे पर ही स्थापित हुए।

विदेश मंत्री ने कहा, “1993 में जिन समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, अगर उनका सम्मान नहीं होता और अगर एलएसी पर शांति बनाए रखना सुनिश्चित नहीं होता, तो यही दोनों देशों के बीच स्थितियां बिगड़ने की मुख्य वजहें हैं।”

इससे पहले लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा न मानने वाले चीन के बयान पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि इसे लेकर हमारी स्थिति हमेशा साफ रही है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश हमेशा से भारत का हिस्सा रहे हैं और आगे भी रहेंगे। भारत के आंतरिक मुद्दों पर चीन का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि अगर किसी को अपने आंतरिक मुद्दों पर दूसरों का बोलना पसंद नहीं, तो हम भी उससे यही उम्मीद करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अखंड हिस्सा है।