यूपी पुलिस भी अजब गजब है। कब क्या कर गुजरे इसका पता ही नहीं होता। ताजा घटनाक्रम में एक सब इंस्पेक्टर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को ही गुमराह करने की कोशिश की। बिफरी कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी कर पुलिस अधिकारी को शो-कॉज नोटिस दे डाला।

मामला कार और दोपहहिया वाहनों की चोरी से जुड़ा है। पुलिस ने इस मामले में बिजनौर से एक आरोपी को गिरफ्तार किया था। मामला कोर्ट में पहुंचा तो दोनों तरफ से जिरह की गई। 25 जून को हुई सुनवाई में एडिशनल गवर्नमेंट एडवोकेट ने कोर्ट को बताया कि आरोपी के खिलाफ यूपी गैंगस्टर्स एक्ट के तहत अकबराबाद थाने में केस दर्ज है। उन्होंने पुलिस के हवाले से ये बात कही।

लेकिन दो जुलाई को जब मामले की सुनवाई हुई तो आरोपी के वकील ने कहा कि पुलिस ने जोश में आकर सारी कार्रवाई की। उसके मुवक्किल को घर से उठाया गया और फिर कार, दोपहिया वाहनों की चोरी के मामले उसके सिर पर थोप दिए गए। वकील का कहना था कि स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने ये कार्रवाई की।

आरोपी के वकील ने बताया कि जिस अकबराबाद थाने का जिक्र कोर्ट के समक्ष किया गया है। दरअसल अमरोहा जनपद में ऐसा कोई थाना है ही नहीं। कोर्ट ने एजीए से पूछा तो उन्होंने आरोपी के वकील की दलील का कोई विरोध नहीं किया। यहां से कोर्ट का पारा चढ़ गया। कोर्ट तब ज्यादा बिफरी जब एजीए ने छानबीन करने के बाद बताया कि ये दावा पुलिस की तरफ से किया गया था।

जस्टिस जेजे मुनीर ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि इस हिमाकत के लिए बिजनौर के कोतवाली थाने के एसआई अमित कुमार को शो-कॉज नोटिस जारी किया जाए। कोर्ट ने पुलिस अफसर से पूछा कि भ्रामक तथ्य देने पर क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए, क्योंकि इस नाम से कोई भी थाना अमरोहा जनपद में नहीं है। फिलहाल कोर्ट को गुमराह करने की कवायद यूपी पुलिस के लिए बवाले जान बन गई है।