Disciplinary Action on Nupur Sharma: भारतीय जनता पार्टी ने रविवार को पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी किए जाने के बाद बढ़े विवाद को देखते हुए 5 जून को अपने दो प्रवक्ताओं पर कड़ी कार्रवाई की है। खाड़ी देशों की प्रतिक्रिया का सामने करते हुए बीजेपी ने ये असाधारण फैसला लिया। बीजेपी के लिए गए इस एक्शन में दो नेताओं में से एक बीजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा हैं। बीजेपी ने नूपुर शर्मा के मामले में संविधान के नियम 10(ए) को लागू कर दिया है जो खुद को एक अनुशासित पार्टी मानती है।

नूपुर शर्मा को लिखे गए पत्र में बीजेपी की केंद्रीय अनुशासन समिति के सदस्य सचिव ओम पाठक ने बताया, ‘आपने कई मुद्दों पर पार्टी की स्थिति के विपरीत विचार व्यक्त किए हैं, जो कि सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी के संविधान के नियम 10 (ए) का स्पष्ट उल्लंघन है। मुझे आपको इस बात की सूचना देने का निर्देश मिला है कि तत्काल प्रभाव से पार्टी से हर तरह की जिम्मेदारी को निलंबित (प्राथमिक सदस्यता से) किया जाता है।’

बीजेपी के संविधान में धर्म
भारतीय जनता पार्टी के संविधान का अनुच्छेद II पार्टी के ‘उद्देश्य’ को निर्धारित करता है। इसका गठन साल 1980 में तत्कालीन भारतीय जनसंघ के सदस्यों द्वारा किया गया था, जिनका भारतीय जनता पार्टी के उदय के बाद पतन हो चुका था। बीजेपी का उद्देश्य है, ‘एक लोकतांत्रिक राज्य की स्थापना करना है, जिसमें सभी नागरिकों की जाति, धर्म, पंथ या लिंग, सामाजिक, रजनीतिक या फिर अवसर की समानता और विश्वास के अलावा अभिव्यक्ति की आजादी की भी गारंटी देता हो। ‘ पार्टी के संविधान में 34 अनुच्छेद हैं। जब कोई पार्टी की सदस्यता का फार्म भरता है तो वो इस बात का संकल्प लेता है कि ‘मैं धर्म पर आधारित धर्मनिरपेक्ष राज्य और राष्ट्र की अवधारणा की सदस्यता लेता हूं… मैं पार्टी के संविधान, नियम और अनुशासन का पालन करने का वचन देता हूं।’

भारतीय जनता पार्टी के नियम
अनुच्छेद XXV-5 में कहा गया है: ‘राष्ट्रीय कार्यकारिणी अनुशासन के उल्लंघन से संबंधित मामलों को तय करने के लिए विभिन्न स्तरों पर अनुशासन समिति के गठन के लिए नियम बनाएगी।’ आवश्यक कार्रवाई के विवरण और कार्रवाई की प्रक्रिया के साथ नियमों को संविधान के आखिरी में लिस्टेड किया गया है। अनुशासन के उल्लंघन के मामले में ‘अनुशासनात्मक कार्रवाई’ के भाग के रूप में 10-भाग की प्रक्रिया को लिस्टेड किया गया है। अनुशासन के उल्लंघन के छह प्रकार लिस्टेड हैं।

भारतीय जनता पार्टी संविधान के नियम 10 (ए)
बीजेपी का नियम 10 पार्टी अध्यक्ष को सदस्यों को अनुशासित करने का असाधारण अधिकार देता है। इसमें कहा गया है: ‘अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष चाहें तो किसी भी सदस्य को निलंबित कर सकते हैं और फिर उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर सकते हैं।’ इसी नियम के तहत शर्मा को उनके खिलाफ जांच से पहले ही निलंबित कर दिया गया है।

‘अनुशासन का उल्लंघन’ के तहत पैरा (ए) में कहा गया है:

1-‘कार्यक्रम या पार्टी के निर्णय के खिलाफ प्रचार या प्रसार करना।’

2-इन नियमों के तहत, ‘5 से अधिक सदस्यों की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति का गठन नहीं किया जाएगा … समितियां अपनी प्रक्रियाएं तैयार करेंगी; राज्य अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति अपने अधीनस्थ इकाइयों के खिलाफ ही कार्रवाई कर सकती है…।’

3-‘शिकायत मिलने पर, राष्ट्रीय अध्यक्ष या प्रदेश अध्यक्ष … उक्त आदेश के एक सप्ताह के भीतर किसी व्यक्ति या इकाई को कारण बताओ नोटिस के बाद निलंबित कर सकते हैं।’

4-‘इस तरह के नोटिस की प्राप्ति की तारीख से अधिकतम 10 दिनों का समय किसी व्यक्ति को जवाब देने के लिए दिया जा सकता है …।

5-‘समिति 15 दिनों में राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी…’