पांच बार के विधायक अरविंद सिंह लवली ट्रांस यमुना डेवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष बनाए गए हैं। इससे पहले भी वे इस पद पर रह चुके हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने उनसे खास बातचीत की है, समझने का प्रयास है कि आखिर इतने सालों में ट्रांस यमुना डेवलपमेंट बोर्ड में क्या बदलाव हुए हैं। यह भी जानने की कोशिश रही है कि शीला दीक्षित, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की कार्यशाली में कितना अंतर है, दोनों में से ज्यादा बेहतर काम किसका दिखाई देता है। उस इंटरव्यू का एक अंश यहां पढ़ते हैं-
सवाल: सेक्रेटेरिएट में वापस आकर कैसा महसूस होता है?
जवाब: शीला दीक्षित के समय दिल्ली सेक्रेटेरिएट और सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) बहुत साधारण हुआ करते थे। अरविंद केजरीवाल सरकार ने जिन दफ्तरों का निर्माण कराया, उनमें ग्रेनाइट और मार्बल लगे हुए हैं। उस समय हमारे साथ जो अधिकारी काम करते थे, वे अब रिटायर हो चुके हैं। आज वही लोग एसडीएम लेवल से सेक्रेटरी बन चुके हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि पुराने समय के लिफ्ट मैन, सिक्योरिटी — ये सब अब भी वहीं हैं। मुझे देखकर वे भी खुश हैं। हमने कभी किसी के साथ गलत व्यवहार नहीं किया। मंत्री हो या क्लर्क — हम सबने टीम की तरह काम किया।
सवाल: जब से आप बीजेपी में आए हैं, क्या-क्या बदला है?
जवाब: मैं बीजेपी में हूं या कांग्रेस में, मेरा उद्देश्य सिर्फ लोगों की सेवा करना है। जब कांग्रेस में था, तब भी मेरा जनता से जुड़ाव बना रहा। बीजेपी नेतृत्व का मैं आभारी हूं कि उन्होंने मुझे फिर से जनता की सेवा का मौका दिया। मैं बिना किसी संकोच के कह सकता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता, लोकप्रियता और विजन अद्वितीय है। मैं दो बार उनसे मिल चुका हूं और हर बार हैरान हुआ हूं कि उन्हें दिल्ली की समस्याओं की कितनी अच्छी जानकारी है। नई पार्टी के साथ काम करने में कुछ समय लगता है, लेकिन जब लक्ष्य जनता की सेवा हो, तो राह आसान हो जाती है।
सवाल: कांग्रेस और बीजेपी की सरकारों में क्या अंतर नजर आता है?
जवाब: दिल्ली का असली विकास 1993 में शुरू हुआ था, जब मदनलाल खुराना मुख्यमंत्री थे। उस समय भाजपा सत्ता में थी। खुराना जी ने ट्रांस यमुना डेवलपमेंट बोर्ड का गठन किया। साहिब सिंह वर्मा जी ने अनऑथराइज्ड कॉलोनियों के लिए बहुत काम किया। शीला दीक्षित एक बेहतरीन मुख्यमंत्री थीं और उनके कार्यकाल में दिल्ली में काफी विकास हुआ।
लेकिन जब आम आदमी पार्टी की सरकार आई, तो उनकी प्राथमिकता विकास नहीं रही। दिल्ली का पूरा एडमिनिस्ट्रेटिव स्ट्रक्चर चरमरा गया। सरकार और अधिकारी एक-दूसरे पर विश्वास नहीं करते थे। एलजी से टकराव चलता रहा। ऐसा वातावरण दिल्ली में पहले कभी नहीं देखा गया।
जब खुराना जी मुख्यमंत्री थे, तो केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। जब शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं, तब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी। लेकिन तब कोई टकराव नहीं था। आम आदमी पार्टी के कार्यकाल में सबसे ज्यादा परेशानियां आईं।
अब रेखा गुप्ता की सरकार के दो प्रमुख फोकस हैं- विकास और यमुना की सफाई। इसके अलावा वर्क कल्चर को कैसे वापस लाया जाए, यह भी एक बड़ी चुनौती है। मुझे उम्मीद है कि वह इसमें सफल होंगी।
सवाल: आपने दो महिला मुख्यमंत्री देखी हैं। दोनों में क्या अंतर दिखाई देता है?
जवाब: मुझे पूरी उम्मीद है कि रेखा गुप्ता एक अच्छी मुख्यमंत्री साबित होंगी। संभावना यह भी है कि वह शीला दीक्षित से ज्यादा लोकप्रिय बनें। शीला दीक्षित 15 साल तक मुख्यमंत्री रहीं, जबकि रेखा गुप्ता को अभी सिर्फ 5 महीने हुए हैं। इतने कम समय में उन्होंने लोगों से जुड़ना शुरू कर दिया है। वह विनम्र हैं और लगातार जनता से मिलती रहती हैं।
मैंने कई मुख्यमंत्री देखे हैं। यह मेरा पांचवां कार्यकाल है दिल्ली विधानसभा में, लेकिन मैं साफ कह सकता हूं कि रेखा गुप्ता सबसे मेहनती मुख्यमंत्री हैं। वह बिल्कुल सही दिशा में आगे बढ़ रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी के आशीर्वाद और केंद्र सरकार के सहयोग से, मुझे पूरा विश्वास है कि दिल्ली के लिए वह बेहतरीन साबित होंगी।
सवाल: बीजेपी और कांग्रेस के वर्क कल्चर में कितना अंतर है?
जवाब: दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियां हैं। मैं इस बहस में नहीं पड़ना चाहता कि तब की कांग्रेस और आज की कांग्रेस में क्या फर्क है। लेकिन पुरानी कांग्रेस देश की बात करती थी, आज की कांग्रेस जातिवाद की बात करती है। राहुल गांधी के पूर्वज जो कहते थे, वह आज राहुल उससे बिल्कुल उलट बातें करते हैं।
अब मैं बीजेपी में हूं, जहां राष्ट्रवाद और विकास की बात होती है। बीजेपी का स्पष्ट विजन है और एक मजबूत लीडरशिप है। पहले लोग कहते थे कि इंदिरा गांधी सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री थीं, लेकिन मैं मानता हूं कि आजादी के बाद नरेंद्र मोदी जैसा विजन और निर्णय क्षमता वाला प्रधानमंत्री भारत को नहीं मिला।
सवाल: ट्रांस यमुना डेवलपमेंट बोर्ड को लेकर आपका क्या विजन है?
जवाब: इस बोर्ड का गठन 1993 में हुआ था और ओपी कोहली पहले अध्यक्ष थे। मैं प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों का आभारी हूं कि उन्होंने इस बोर्ड को फिर से सक्रिय किया। पहली बार ऐसा हुआ है कि बोर्ड के अध्यक्ष को कैबिनेट रैंक दी गई है।
मुझे लगता है कि इससे ट्रांस यमुना डेवलपमेंट बोर्ड ज्यादा प्रभावशाली ढंग से काम कर पाएगा। एकमात्र चुनौती यह है कि बोर्ड का गठन बजट के बाद हुआ है, इसलिए फिलहाल इसका खुद का बजट नहीं है। लेकिन मुख्यमंत्री ने वादा किया है कि वह फंड जरूर देंगी।