मरकज निजामुद्दीन के प्रमुख मौलाना मोहम्मद साद कांधलवी (Mohd Saad Kandhalvi) और अन्य पर दिल्ली में कोविड-19 फैलाने का आरोप लगे पांच साल से अधिक समय बाद जांच में बड़ा अपडेट सामने आया है। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के मौजूदा जांच अधिकारी ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को बताया है कि साद के लैपटॉप से बरामद भाषणों में “कुछ भी आपत्तिजनक” नहीं मिला। द इंडियन एक्सप्रेस को सूत्रों से यह जानकारी मिली है।

दरअसल, 31 मार्च 2020 को हजरत निजामुद्दीन थाने में दर्ज शिकायत के आधार पर साद और अन्य के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या समेत कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया था। आरोप था कि 21 मार्च 2020 को साद का एक ऑडियो मैसेज वायरल हुआ था, जिसमें कथित तौर पर उन्होंने अनुयायियों को लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग तोड़कर मरकज के धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कहा था।

हाईकोर्ट ने रद्द की तबलीगी जमात पर दर्ज 16 FIR, कोविड फैलाने का था आरोप

सूत्रों के अनुसार, मौजूदा जांच अधिकारी ने पुलिस मुख्यालय को बताया है कि साद अब तक जांच में शामिल नहीं हुए हैं। हालांकि उनके लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) भेजे गए थे। इनमें से लैपटॉप से निकाले गए भाषणों की जांच हो चुकी है, और उनमें कोई भड़काऊ या आपत्तिजनक सामग्री नहीं मिली।

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मौलाना मोहम्मद साद कांधलवी।

बीते महीने दिल्ली हाईकोर्ट ने भी तब्लीगी जमात से जुड़े 70 भारतीयों के खिलाफ दर्ज 16 एफआईआर और चार्जशीट रद्द कर दी थी। अदालत ने कहा था कि महामारी की शुरुआत में केवल मरकज में रहना सरकार की पाबंदियों का उल्लंघन नहीं माना जा सकता।

इस मामले में 36 देशों के कुल 952 विदेशी नागरिकों पर आरोप लगाए गए थे। इनमें से 44 आरोपियों ने ट्रायल का सामना करने का विकल्प चुना, जबकि 908 ने अपराध स्वीकार कर 4,000 से 10,000 रुपये तक का जुर्माना भर दिया।

पूर्व पुलिस आयुक्त एस. एन. श्रीवास्तव ने कहा कि वे चार साल पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं और अब इस जांच से उनका कोई संबंध नहीं है। वहीं, विशेष पुलिस आयुक्त (क्राइम ब्रांच) और दिल्ली पुलिस प्रवक्ता से इस पर प्रतिक्रिया मांगी गई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।