मथुरा के रहने वाले दीपक ने 4 साल तक कड़ी मेहनत कर आर्मी में भर्ती होने का सपना देखा था। लेकिन साल 2022 में यह सपना टूट गया, जब अग्निपथ योजना के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उसी वर्ष मोदी सरकार अग्निपथ योजना लेकर आई थी और देश के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर विरोध देखने को मिला था। दीपक भी उसी विरोध का हिस्सा बने थे।

दीपक बताते हैं- “यह आर्मी जॉइन करने का मेरा आखिरी अटेम्प्ट था। गिरफ्तारी ने मेरे सारे सपने खत्म कर दिए। क्रिमिनल चार्ज लगने के बाद सरकारी नौकरी मिलने की उम्मीद लगभग खत्म हो गई थी।” हाल ही में दीपक ने एक प्राइवेट नौकरी जॉइन की है और वे रोज 12 घंटे काम कर रहे हैं।

अग्निपथ योजना के खिलाफ 2022 में हुए प्रदर्शनों में केवल उत्तर प्रदेश में ही 15 जिलों में 51 मामले दर्ज हुए थे। युवाओं पर ट्रेनों और गाड़ियों में आग लगाने, सरकारी व प्राइवेट संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और पथराव जैसे आरोप लगे थे। अग्निपथ योजना के तहत केंद्र सरकार युवाओं को 4 साल की शॉर्ट-टर्म सर्विस के लिए सेना में शामिल करना चाहती थी। इसके बाद केवल 25% युवाओं को ही रिटेन किया जाना था। यही इसकी सबसे बड़ी वजह विरोध बन गया।

अब योगी सरकार इन मामलों में फंसे युवाओं को राहत देने की तैयारी में है। सरकार ने सभी मामलों की समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं। एक सरकारी अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि “समीक्षा पूरी होते ही रिपोर्ट सरकार को भेज दी जाएगी।” अख़बार ने कई ऐसे युवाओं से बात की जिन पर प्रदर्शन के दौरान मुकदमे दर्ज हुए थे। ज्यादातर युवाओं का कहना है कि उन्हें “झूठे मामलों में फंसाया गया”, या वे सिर्फ देखने गए थे।

दीपक की बात करें तो उसे 33 अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था। 400–500 ऐसे युवा भी थे जिनकी पहचान नहीं हो सकी, लेकिन उन पर भी केस दर्ज हुए थे। पुलिस ने बताया कि कई जगह सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया, जिसके कारण हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। हालांकि, अधिकांश मामलों में अभी तक ट्रायल शुरू नहीं हुआ है। दीपक करीब एक महीने जेल में रहा था। उसका कहना है-“सरकार को युवाओं को एक मौका देना चाहिए। एक केस से पूरे भविष्य को बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए।”

दीपक की तरह हरिओम भी 26 दिन जेल में रहे। वे कहते हैं-“अभी भी हर महीने कोर्ट में सुनवाई होती है। लेकिन देश की सेवा करने की इच्छा आज भी है। भले आर्मी भर्ती का मौका चला गया हो, लेकिन पुलिस, होमगार्ड या किसी अन्य सुरक्षा बल में अभी भी विकल्प हैं।”

उत्तर प्रदेश में दर्ज 51 केसों में जौनपुर में सबसे ज्यादा 11, वाराणसी में 9, चंदौली में 8 केस दर्ज हुए। मथुरा, बलिया और गाजीपुर में तीन-तीन मामले दर्ज हुए, जबकि आगरा, गौतम बुद्ध नगर, गोरखपुर, बस्ती, फतेहगढ़, रायबरेली और जीआरपी में 1-1 केस दर्ज हुआ।

इन मामलों की समीक्षा की मांग सबसे पहले बीजेपी के जेवर से विधायक धीरेंद्र सिंह ने की थी। उन्होंने सितंबर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि “निर्दोष युवाओं पर दर्ज मामलों को तुरंत हटाया जाए।” इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा-“यह हमारे युवाओं के भविष्य का सवाल है। हर जरूरी कदम उठाया जाना चाहिए।”

गौतम बुद्ध नगर की 24 वर्षीय कपिल बताते हैं कि साल 2023 में कुछ युवा विधायक से मिलने गए थे और मदद की अपील की थी। कपिल को भी 2022 के प्रदर्शन में गिरफ्तार किया गया था। उन पर हाईवे ब्लॉक करने और पथराव का आरोप लगा। फिलहाल कपिल ग्रेजुएशन कर रहे हैं और प्राइवेट नौकरी की उम्मीद में हैं।