केरल में हाल ही में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) ने ज़बरदस्त प्रदर्शन किया है। इससे अप्रैल 2026 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों से पहले सत्ताधारी CPI(M) के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) को बड़ा झटका लगा है।

द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में कांग्रेस नेता और केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता (LoP) वी डी सतीशन (61) ने कई अहम मुद्दों पर खुलकर बात की। इनमें स्थानीय निकाय चुनावों में UDF की जीत, विधानसभा चुनावों में पार्टी की संभावनाएं और BJP फैक्टर प्रमुख हैं। प्रस्तुत हैं बातचीत के कुछ अंश:

क्या आप स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजों को विधानसभा चुनावों के लिए एक संकेत मानते हैं?

वी डी सतीशन: हालांकि विधानसभा चुनावों में वोटिंग पैटर्न स्थानीय निकाय चुनावों से अलग होता है, लेकिन ये नतीजे निश्चित रूप से एक संकेत देते हैं। यदि ज़िला पंचायतों के नतीजों पर नज़र डालें – जहां बड़े वार्ड होते हैं और राजनीतिक आधार पर मतदान होता है – तो हमने 14 में से सात सीटें जीती हैं, जबकि पिछली बार, यानी 2020 में, हमने केवल तीन सीटें जीती थीं। जिला पंचायतों में इस समय हमारी संख्या CPI(M) से अधिक है।

लेकिन LDF ने भी सात जिला पंचायतों पर कब्जा बरकरार रखा है…

वी डी सतीशन: इस समय हम यह कह सकते हैं कि हमें बढ़त हासिल है। विधानसभा चुनावों में LDF के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर और भी ज़्यादा मज़बूत होगी, जिसमें राज्य-स्तरीय मुद्दे प्रमुख भूमिका निभाएंगे। हम पूरी तरह तैयार और आत्मविश्वासी हैं तथा 140 में से 100 सीटें जीतने का लक्ष्य रख रहे हैं।

पिछले साढ़े चार वर्षों में UDF ने सभी उपचुनाव बड़े अंतर से जीते हैं। वहीं चेलाक्करा सीट, जो पहले CPI(M) के पास थी, वहां हमने LDF की बढ़त को 40,000 से घटाकर 12,000 कर दिया। मौजूदा UDF-समर्थक रुझान विधानसभा चुनावों के दौरान अपने चरम पर पहुंचेगा।

कांग्रेस आमतौर पर विधानसभा चुनावों में जाने-पहचाने चेहरों को मैदान में उतारती है। क्या इस बार यह ट्रेंड बदलेगा?

वी डी सतीशन: हमारे उम्मीदवारों में पीढ़ीगत बदलाव होगा, जिसके तहत युवाओं और महिलाओं को 50 प्रतिशत टिकट दिए जाएँगे। यह प्रक्रिया भी अपेक्षाकृत आसान होगी, क्योंकि इसके लिए किसी बड़े बदलाव की आवश्यकता नहीं है। हमारे पास पहले से ही मुख्यधारा की राजनीति में कई युवा और लोकप्रिय नेता मौजूद हैं और CPI(M) के विपरीत, हमारे यहाँ दूसरे और तीसरे स्तर के भी बेहद सक्षम नेता हैं।

UDF का नेतृत्व कौन करेगा?

वी डी सतीशन: UDF में सामूहिक नेतृत्व है और हम एक टीम के रूप में काम करते हैं। कांग्रेस परंपरागत रूप से चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं करती। केरल में भी इसी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। चुनाव के बाद AICC द्वारा तय प्रक्रिया के तहत मुख्यमंत्री का फैसला किया जाएगा।

लेकिन LDF ने मौजूदा मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को फिर से चुनावों के लिए अपना नेता बनाया है?

वी डी सतीशन: वह (विजयन) कभी उनके कप्तान थे, लेकिन अब उनकी सबसे बड़ी कमजोरी बन चुके हैं। सत्ता विरोधी लहर के पीछे भी वही व्यक्ति हैं।

आपको क्यों लगता है कि LDF सरकार के कल्याणकारी उपाय, जो उनका सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा था, स्थानीय निकाय चुनावों में वोटों में तब्दील नहीं हुए?

वी डी सतीशन: अपने 2021 के विधानसभा चुनाव घोषणापत्र में LDF ने कल्याण पेंशन को 1,600 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 2,500 रुपये करने का वादा किया था। लेकिन पिछले साढ़े चार वर्षों में इसमें एक पैसा भी नहीं बढ़ाया गया। इस तरह उन्होंने लोगों को धोखा दिया। स्थानीय निकाय चुनावों की घोषणा से महज एक हफ्ता पहले ही पेंशन राशि बढ़ाकर 2,000 रुपये प्रति माह की गई। लोगों ने इसे समझ लिया और इसलिए इसका कोई खास असर नहीं पड़ा।

कांग्रेस और UDF पर विकास विरोधी होने के आरोपों पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

वी डी सतीशन: हम के-रेल प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि इसे पर्यावरण से जुड़े संवेदनशील कारकों को ध्यान में रखे बिना योजना बद्ध किया गया था। केरल जैसे राज्य में, जिसने लगातार प्राकृतिक आपदाएँ झेली हैं, किसी भी बड़े प्रोजेक्ट को शुरू करते समय जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखना ज़रूरी है।

विजयन पुराने हो चुके हैं, लेकिन UDF नहीं—और इसी वजह से वह के-रेल का विरोध कर रही है। पहले CPI(M) ही विझिंजम बंदरगाह जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स का विरोध करती थी और उसे 6,000 करोड़ रुपये का “भ्रष्टाचार का सौदा” कहती थी। अब वही लोग उसका श्रेय ले रहे हैं। हम कभी भी राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के खिलाफ नहीं रहे हैं।

आपको क्या लगता है कि किन कारणों से स्थानीय निकाय चुनावों में UDF को बढ़त मिली?

वी डी सतीशन: LDF सरकार के खिलाफ़ भारी सत्ता विरोधी लहर थी। UDF ने सरकार के खिलाफ़ एक चार्जशीट पेश की, जिसमें सबरीमाला सोने की चोरी का मामला भी शामिल था। हमने एजेंडा तय किया और यह चार्जशीट ही चर्चा का केंद्र बन गई। इसके अलावा, UDF ने एक टीम के रूप में काम किया। हमने एक साल पहले ही तैयारी शुरू कर दी थी और “मिशन 2025” लॉन्च किया था।

पिछले स्थानीय निकाय चुनावों की तुलना में इस बार वोटिंग कैसे अलग थी?

वी डी सतीशन: स्थानीय निकाय चुनावों में राजनीतिक आधार पर मतदान हुआ, जहां आमतौर पर स्थानीय मुद्दों पर बहस होती है। 2024 के लोकसभा चुनावों में मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की कोशिश की, और जब यह प्रयास विफल रहा, तो उन्होंने बहुसंख्यकों को लुभाने की रणनीति अपनाई।

UDF एक सेक्युलर गठबंधन है और वह विभाजनकारी राजनीति के साथ-साथ अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक किसी भी वर्ग के खिलाफ़ नफ़रत फैलाने वाले अभियानों का विरोध करती है। इसी रुख के चलते UDF को बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक दोनों के वोट मिले। इससे यह साबित हुआ कि सभी वर्गों के लोग हम पर भरोसा करते हैं। इन नतीजों ने पिछले 30 वर्षों में स्थानीय निकाय चुनावों में UDF को उसकी सबसे बड़ी जीत दिलाई।

तिरुवनंतपुरम नगर निगम में BJP की जीत को देखते हुए, आप BJP के असर के बारे में क्या सोचते हैं?

वी डी सतीशन: केरल में बीजेपी का वोट शेयर घटा है और तिरुवनंतपुरम में उसकी जीत LDF की नाकामी का नतीजा है। कांग्रेस ने अपनी सीटों की संख्या दोगुनी कर ली है। बीजेपी और CPI(M) के बीच एक तरह की समझ है। गैर-बीजेपी शासित राज्यों में केंद्रीय एजेंसियां जिस आक्रामकता से काम करती हैं, वह केरल में देखने को नहीं मिलती। राज्य में कई मामलों की जांच कर रही ED ने नेताओं को नोटिस तो जारी किए, लेकिन आगे कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।