भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) हरियाणा में मौजूद प्राचीन पुरातात्विक स्थल राखीगढ़ी में मानसून खत्म होने के बाद एक बार फिर से खुदाई की शुरुआत करेगा। इसका उद्देश्य 3 हजार 600 ईसा. पूर्व से लेकर 5 हजार 500 ईसा. पूर्व तक के हड़प्पा और प्रारंभिक हड़प्पा के सभ्यताकालीन इतिहास और विकास को पुनगर्ठित करना है।

वर्ष 1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद देश के सामने आए राखीगढ़ी पुरातात्विक स्थल में पुरातत्वविदों ने हालांकि कई बार खुदाई की है, लेकिन इस बार यहां मौजूद टीला संख्या 3 और 7 पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा। क्योंकि पुरातत्वविदों को उम्मीद है कि इन जगहों पर खुदाई से मिलने वाले अवशेषों से हड़प्पा सभ्यता और उससे जुड़े इतिहास को और बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। यह जानकारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संयुक्त महानिदेशक डा.संजय कुमार मंजुल ने दी।

जीवन पद्वति का करेंगे विश्लेषण

डा मंजुल ने बताया कि राखीगढ़ी में खुदाई के दौरान मिलने वाले अवशेषों से एएसआई यह जानने की कोशिश करेगी कि हड़प्पा और प्रारंभिक हड़प्पा के कालखंड के दौरान वहां रहने वाले लोगों की जीवन पद्वति का चक्र कैसा रहा होगा? इसमें लोगों के खेती करने के तरीके और उसके बाद हुए शहरीकरण और फिर शहरीकरण के समापन के तिथिक्रम से जुड़े कई अनसुलझे रहस्यों से परदा हटेगा। उन्होंने बताया कि क्षेत्रफल के हिसाब से राखीगढ़ी एशिया उप-महाद्वीप का सबसे बड़ा पुरातात्विक स्थल है।

यह कुल करीब 350 हैक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। एएसआइ की योजना है कि भविष्य में यहां बनकर तैयार होने वाले प्रतिष्ठित स्थल (आइकोनिक साइट) में राखीगढ़ी के खुदाई से जुड़े कुछ हिस्से को भी आमजनता के देखने के लिए खोला जाएगा।इसके डेढ़ से दो साल में पूरी तरह से बनकर तैयार होने की संभावना है।

एएसआई इसे हरियाणा सरकार के साथ मिलकर बना रही है। जिसमें राज्य सरकार ने करीब 3 एकड़ से अधिक भूमि पर संग्रहालय भवन बना लिया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इस संग्रहालय में रखने के लिए हरियाणा सरकार को कर्ज पर कुछ प्राचीन कालीन वस्तुएं प्रदान करेगा। इसमें मिट्टी के बर्तन, चित्रित मिट्टी के बर्तन, महिलाओं के कंकाल शामिल हैं।

केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 के बजट में देश में पांच प्रतिष्ठित स्थल बनाने का निर्णय लिया था। इसमें राखीगढ़ी, धौलावीरा, आदिचेन्नुलूर, हस्तिनापुर और शिवसागर शामिल हैं। इसके पीछे सिंधु और सरस्वती से मध्यकालीन भारत तक के प्राचीन स्थलों को देश, दुनिया के सामने लाना उद्देश्य है। प्रतिष्ठित स्थलों में पर्यटक सुविधाएं, पुरातात्विक स्थलों को संग्रहालय से जोड़ना और अनुवाद केंद्र स्थापित किए जाएंगे।

डा मंजुल ने बताया कि राखीगढ़ी में खुदाई के दौरान मिलने वाले अवशेषों से एएसआइ यह जानने की कोशिश करेगी कि हड़प्पा और प्रारंभिक हड़प्पा के कालखंड के दौरान वहां रहने वाले लोगों की जीवन पद्वति का चक्र कैसा रहा होगा? इसमें लोगों के खेती करने के तरीके और उसके बाद हुए शहरीकरण और फिर शहरीकरण के समापन के तिथिक्रम से जुड़े कई अनसुलझे रहस्यों से परदा हटेगा।