वन रैंक, वन पेंशन नीति को लागू करने में देरी से क्षुब्ध पूर्व सैनिक रविवार को सड़कों पर उतर गए। दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली के जंतर-मंतर पर पूर्व सैनिकों के इस विरोध प्रदर्शन में दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू)और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों के अलावा कई किसान समूह भी शामिल हुए।

राष्ट्रीय राजधानी समेत देश के विभिन्न क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन किया और इसे तत्काल लागू करने की मांग की। पूर्व सैनिकों ने इस मुद्दे पर सोमवार से क्रमिक अनशन पर जाने की धमकी दी है। पूर्व सैनिकों ने विरोध प्रदर्शन तब शुरू किया जब सरकार के साथ उनकी औपचारिक और पर्दे के पीछे जारी वार्ता विफल हो गई क्योंकि पूर्व सैनिकों को वन रैंक, वन पेंशन लागू करने के लिए विशिष्ट समय सीमा नहीं दी गई।

इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट (आइईएसएम) के मीडिया सलाहकार कर्नल (रिटायर्ड) अनिल कौल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमें आश्वस्त किया था कि इसे लागू किया जाएगा लेकिन एक साल में ऐसा नहीं हुआ। आइईएसएम के उपाध्यक्ष मेजर जनरल (रिटायर्ड) सतवीर सिंह ने कहा कि जब तक वन रैंक, वन पेंशन लागू नहीं होता है तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।

इस मौके पर डीआरडीओ के इनमास में यूनियन को खड़ा कर वहां से रिटायर्ट हुए पूर्व सैनिक नरेंद्र सिंह (80) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरियाणा की सभाओं में ‘वन रैंक, वन पेंशन को लागू करने ’ का वादा कर चुके हैं। वहां उनकी सरकार बनी है। लेकिन फिर वादाखिलाफी क्यों? उन्होंने कहा कि इसे लेकर सैनिकों और पूर्व सैनिकों में रोष है जो सरकार के लिए मंहगा सौदा साबित होगा। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर ‘मन की बात’ बहुत हो चुकी है अब काम की बात करने की जरूरत है। पूर्व सैनिक ने पूछा कि प्रधानमंत्री को और कितना समय चाहिए, इसे लागू करने के लिए?

पूर्व सैनिकों का कहना है कि वे किसी सरकार के खिलाफ नहीं है लेकिन अपनी लंबे समय से लंबित मांग के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बारे में उन्होंने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से समय मांगा है ताकि उनके समक्ष इस विषय को उठाया जा सके। जंतर मंतर पर पूर्व सैनिकों के समर्थन में शामिल होते हुए किसानों के समूहों ने ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे भी लगाए। मोदी सरकार ने कहा है कि वह वन रैंक, वन पेंशन के अपने वादे को पूरा करने को प्रतिबद्ध है लेकिन अभी तक इसे पूरा नहीं कर पाई है। प्रधानमंत्री ने मन की बात में अपने संबोधन में पूर्व सैनिकों को आश्वस्त किया था कि वन रैंक, वन पेंशन से जुड़े मुद्दे का जल्द समाधान निकाल लिया जाएगा। वन रैंक, वन पेंशन योजना से करीब 22 लाख पूर्व सैनिकों और काफी संख्या में युद्ध में विधवाओं को फायदा होगा। सरकार का कहना है कि वह वन रैंक, वन पेंशन लागू करने को प्रतिबद्ध है लेकिन इस बात को स्पष्ट नहीं किया कि देरी क्यों हो रही है।

इन सब उलझनों को झेल रही केजरीवाल सरकार को अब सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब दिल्ली विद्युत नियामक आयोग ने दिल्ली में 15 जून से बिजली के दाम बढ़ाने की घोषणा कर दी। इस मामले में केजरीवाल ने साफ कर दिया है कि वे दिल्ली में बिजली के दाम बढ़ने नहीं देंगे। अब वे बिजली के बड़े हुए दामों को रोकने के लिए क्या कदम उठाएंगे, इसकी किसी के पास अभी जानकारी नहीं है। वैसे यह मसला एक बड़ी चुनौती के रूप में केजरीवाल के समक्ष है।