प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हालिया लद्दाख यात्रा में चीन के संदर्भ में (हालांकि चीन का स्पष्ट रूप से नाम लिए बिना) कहा-विस्तारवाद का युग खत्म हो चुका है। सदियों से चले आ रहे विस्तारवाद ने मानवता को सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई है और इसे नष्ट करने की कोशिश की है। जो लोग विस्तारवाद से प्रेरित हैं, वे हमेशा दुनिया के लिए एक खतरा साबित हुए हैं। इतिहास इस तथ्य की गवाही देता है। विस्तारवादी ताकतों को या तो नष्ट कर दिया गया है या वापस लौटने के लिए मजबूर किया गया है। इसी अनुभव के कारण आज दुनिया विस्तारवादी ताकतों के खिलाफ एकजुट हो रही है।

इस भाषण के तुरंत बाद भारत में चीनी दूतावास के प्रवक्ता जी रोंग ने इस बात से इनकार किया कि चीन विस्तारवादी है, और कहा कि यह दावा ‘अतिरंजित और मनगढ़ंत’ है। लेकिन क्या प्रधानमंत्री का बयान असत्य है? जी रोंग और चीनी विदेश मंत्रालय को कुछ बुनियादी सवालों के जवाब देने चाहिए, बजाय इस सामान्यीकृत जवाब के कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान ‘अतिरंजित और मनगढ़ंत’ है। ये सवाल मैंने अपने पूर्व के लेख में उठाए हैं।

मैंने लेख में कहा है कि आज चीन एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, साथ ही कई और विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाओं में गहराई से प्रवेश कर चुका है। चीन आज नि:स्संदेह नाज़ी जर्मनी की तरह एक साम्राज्यवादी विस्तारवादी ताकत है, और 1930 और 1940 के दशक में नाजियों की तरह विश्व शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा भी। इसका बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव वास्तव में विस्तार करने का तरीका है।

साम्राज्यवादियों की तरह, चीनी सभी देशों के बाजारों और कच्चे माल पर कब्ज़ा चाहता है। तिब्बत और लद्दाख जैसे पर्वतीय क्षेत्र साइबेरिया की तरह बंजर दिखाई दे सकते हैं, लेकिन साइबेरिया की तरह ही वे बहुमूल्य खनिजों और अन्य प्राकृतिक संपदा से भरे हुए हैं। यही असली कारण है कि चीनी सैनिकों ने गलवान घाटी, पैंगॉन्ग त्सो, हॉट स्प्रिंग्स, डेमचोक, फाइव फिंगर्स आदि में घुसपैठ की और नि:स्संदेह लद्दाख में और घुसने की कोशिश करेंगे, अगर इन्हें रोका नहीं गया।

उदाहरण के लिए, चीन ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में गहराई से प्रवेश कर लिया है, और इस उद्देश्य के लिए वह ‘China Pakistan Economic Corridor’ (CPEC) का उपयोग कर रहा है। बलूचिस्तान के गैस, सोना, कोयला, तांबा, सल्फर आदि के विशाल प्राकृतिक संसाधन पाकिस्तान के अधिकारियों ने चीनियों को सौंप दिए हैं, जिससे बलूचियों के बीच गहरी नाराज़गी है, जिन्हें गरीब और हाशिए पर रखा जाता है। पाकिस्तानी बाजार चीनी सामानों से भरे पड़े हैं।

पाकिस्तान के एक पत्रकार ने मुझे हाल ही में बताया कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने पाकिस्तान के मीडिया से कहा है कि वे चीन के खिलाफ टीवी पर या अख़बारों में कुछ भी न कहें या प्रकाशित करें। इससे पता चलता है कि चीनियों ने पाकिस्तानी सरकार पर किस तरह की अपनी पकड़ बना ली है।

पूरी दुनिया को प्रधान मंत्री मोदी के चीनी विस्तारवाद की निंदा करने वाले भाषण को गहराई से समझकर अपनी आंखें खोलनी चाहिए और चीनी साम्राज्यवादी विस्तारवाद के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। मोदी द्वारा कही या की गईं अन्य चीज़ों को अस्वीकार किया जा सकता है, पर इस मुद्दे पर सभी को एकजुट होना चाहिए।चीनी विस्तारवाद के खिलाफ बोलकर मोदी ने ठीक वैसे ही बात की है जैसे चर्चिल ने नाज़ी विस्तारवाद के खिलाफ की थी।

(लेखक सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज हैं और तमाम समसामयिक मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखते हैं। यहां व्‍यक्‍त विचार उनके निजी हैं, जनसत्‍ता.कॉम के नहीं)