Jairam Ramesh On Ex CJI Chandrachud: पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ इस वक्त विपक्ष के निशाने पर हैं। क्योंकि संभल की जामा मस्जिद और अजमेर शरीफ पर ट्रायल कोर्ट के फैसलों के बाद देश के पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ आलोचनाओं के केंद्र में हैं। अजमेर शरीफ के सर्वे की मांग के बीच पूर्व सीजेआई पर सियासी हमले तेज हो गए हैं। पूर्व सीजेआई पर आरोप है कि उन्होंने अपने आदेश से ऐसी याचिकाओं और देश के विभिन्न धार्मिक स्थलों के सर्वे के लिए रास्ता खोल दिया है।
रविवार को कांग्रेस और शिवसेना यूबीटी के नेताओं ने पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को लेकर दो बयान दिए हैं। जिसमें एक ही बात कही गई है कि अजमेर-संभल में हुए मंदिर-मस्जिद जैसे विवादों के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जिम्मेदार हैं।
संजय राउत ने मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जहां उन्होंने पूर्व सीजेआई को न सिर्फ मंदिर-मस्जिद विवाद के लिए जिम्मेदार बताया, बल्कि महाराष्ट्र में चल रही राजनीतिक उथल-पुथल के लिए भी आरोपी बताया। राउत ने कहा- सरकार बनाने के लिए अभी तक राज्यपाल से कोई नहीं मिला है। इन सबके लिए जस्टिस चंद्रचूड़ जिम्मेदार हैं।
राउत ने कहा कि चाहे अजमेर हो या उत्तर प्रदेश का संभल, सीजेआई चंद्रचूड़ देश में आग लगाने के बाद रिटायर हुए हैं। आज देश की जो हालत है उसके लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। जस्टिस चंद्रचूड़ को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
उधर, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी कहा कि 20 मई 2022 को पूर्व सीजेआई की प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर टिप्पणी की थी, जिसने मंदिर-मस्जिद वाली याचिकाओं का रास्ता साफ किया है। उन्होंने कहा था कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट किसी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र का पता लगाने पर प्रतिबंध नहीं लगाता है। दरअसल, यह एक्ट प्राचीन धार्मिक स्थल के स्वरूप को बदलने पर रोक लगाता है।
जयराम रमेश ने कहा कि 20 मई 2022 को चंद्रचूड़ साहब ने मौखिक टिप्पणी की और उससे भानुमती का पिटारा, पैंडोरा बॉक्स खुल गया। भाजपा इसका पूरा राजनीतिक फायदा उठा रही है। हर जगह सांप्रदायिक तनाव फैलाया जा रहा है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि हम चाहते हैं कि पूजा स्थल विशेष प्रावधान अधिनियम 1991 का सम्मान किया जाए। परसों CWC की बैठक हुई थी, हमने अपने प्रस्ताव में लिखा है कि पूजा स्थल विशेष प्रावधान अधिनियम 1991 को लागू करना जरूरी है। संसद में भी हमने अडानी का मामला, मणिपुर और पूजा स्थल विशेष प्रावधान अधिनियम 1991 का मुद्दा उठाया है, विशेषकर अजमेर और संभल में जो कुछ हो रहा है, उसके संबंध में हमने उन्हें नोटिस दिया है।
प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के मुताबिक, पूजा स्थल उसी रूप में संरक्षित किया जाएगा, जिस रूप में वह 15 अगस्त 1947 को था। अगर यह साबित भी हो जाता है कि उसे किसी दूसरे धर्म के उपासना स्थल को तोड़कर बनाया गया है, तब भी उसके स्वरूप को बदला नहीं जा सकता।
‘राजमोहन गांधी का भाषण मास्टर क्लास जैसा’
जयराम रमेश ने 1991 में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के बनने से पहले राज्यसभा में हुई बहस का भी जिक्र किया है। उन्होंने उस समय उत्तर प्रदेश से जनता दल के सांसद और लेखक राजमोहन गांधी के भाषण के अंश भी साझा किए हैं।
अपनी पोस्ट में लिखा कि बहस के दौरान राजमोहन गांधी का दिया भाषण राज्यसभा के इतिहास में सबसे महान भाषणों में से एक है। यह भारतीय संस्कृति, परंपराओं, इतिहास और राजनीति के लिए एक मास्टरक्लास जैसा है। महाभारत के उस अंश के साथ उनका शानदार भाषण आज भी प्रासंगिक है।
राजमोहन ने अपने भाषण में महाभारत का जिक्र करते हुए कहा था कि महाभारत की सदियों से चली आ रही सीख यह है कि जो लोग बदले की भावना से इतिहास की गलतियों को सुधारने की कोशिश करते हैं, वे केवल विनाश ही पैदा करते हैं।
पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने ANI को दिए इंटरव्यू में कहा- लोकतंत्र में विपक्ष का स्पेस अलग है। कुछ लोग न्यायपालिका के कंधों पर बंदूक रखकर गोली चलाना चाहते हैं। वे कोर्ट को विपक्ष में बदलना चाहते हैं, लेकिन न्यायपालिका कानूनों की जांच करने के लिए है। दरअसल, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कुछ दिनों पहले ज्यूडिशियरी के काम करने के तौर-तरीके पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि ज्यूडिशियरी का काम भी विपक्ष ने ले लिया है।
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