बुधवार को राहुल गांधी के साथ होने वाली कर्नाटक कांग्रेस विधायकों की मीटिंग से पहले पार्टी फिर से गलतफहमियों का शिकार होती दिखाई दे रही है। इस गलतफहमी की वजह मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के कार्यकाल की अवधि बताई जा रही है। पिछले एक हफ्ते में सिद्धारमैया के कई मंत्रियों ने यह दावा किया है कि वो पूरे पांच साल तक सरकार के मुखिया बने रहेंगे और यह बात राज्य में कांग्रेस के एकमात्र सांसद डीके सुरेश के पसंद नहीं आई है। डीके सुरेश कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के भाई हैं।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को जिन मंत्रियों का समर्थन मिला है उनमें उद्योग मंत्री एमबी पाटिल, सोशल वेलफेयर मिनिस्टर एचसी महादेवप्पा और पब्लिक वर्क्स मिनिस्टर सतीश झारकिहोली शामिल हैं। ये सभी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खास माने जाते हैं। एमबी पाटिल ने हाल ही में कहा था कि AICC जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल ने एक न्यूज कॉन्फ्रेंस में कहा था कि सिद्धारमैया पूरे पांच साल तक सीएम बने रहेंगे। यह बात डीके सुरेश को पसंद नहीं आई और उन्होंने पलटवार करते हुए कहा, “मैं एमबी पाटिल को जवाब दे सकता हूं। लेकिन उन्हें बताइये कि ये जरूरी नहीं है।”

उन्होंने एक प्रेस वार्ता में कहा, “”मुझे नहीं पता कि वह इस तरह की टिप्पणी क्यों कर रहे हैं। वह एक परिपक्व नेता हैं। वह अब एक वरिष्ठ मंत्री के रूप में काम कर रहे हैं। मुझे लगता है कि उन्हें मंत्री के रूप में काम करने के बजाय अन्य मुद्दों में अधिक दिलचस्पी है। इसलिए वह ये बातें कह रहे होंगे। और मैं क्या कहूं?”

खबरें तो ये भी हैं कि कर्नाटक विधानसभा में हाल ही में एक कैबिनेट मीटिंग के बाद दोनों नेता के बीच बहस भी हुई है। पाटिल के अलावा महादेवप्पा ने मैसुरु में रविवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि सिद्धारमैया सीएम पद पर बने रहेंगे। वो सीएम हैं। वो सीएम बने रहेंगे। सतीश झारकिहोली ने अपने बयान में यह भी कहा कि सिद्धारमैया मुख्यमंत्री हैं और किसी ने भी यह नहीं कहा कि वो सिर्फ आधे समय तक ही सीएम रहेंगे।

हालांकि इस बीच डीके सुरेश ने कांग्रेस को प्रेशर में लेने के लिए एक नई रणनीति बनाई है। उन्होंने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्होंने अभी यह तय नहीं किया है कि वो अगला चुनाव लड़ेंगे भी या नहीं। उन्होंने कहा, “मैंने चुनाव लड़ने के लिए कोई कॉल नहीं ली है। मैंने इस बारे में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से पूछा है। अगर कोई अच्छा उम्मीदवार रहेगा तो मैं उसका समर्थन करने के लिए तैयार हूं।”

इस दौरान डीके सुरेश ने यह भी कहा कि वो लंबे समय से राजनीति कर रहे हैं और अब चाहते हैं कि अन्य नेताओं को मौका दिया जाए। जब रविवार को उनसे सवाल किया गया कि क्या उन्होंने अपने फैसले के बारे में पार्टी को बता दिया है तो उन्होंने कहा, “अगर मैं इसे अपने मतदाताओं को जानकारी दूं तो यह काफी है। मैं इसे पार्टी नेताओं के ध्यान में क्यों लाऊं? अगर मैं अप्लाई करूंगा तो पार्टी के नेता मुझे टिकट देंगे। अगर मैं नहीं, तो वे किसी और को खोज लेंगे।”

क्या हैं ताजा विवाद के मायने?

कहा जा रहा है कि डीके सुरेश का यह बयान और कांग्रेस के सीनियर मंत्रियों से उनके हालिया विवाद ने अपने भाई डीके शिवकुमार के सीएम पद पर दावे को आगे बढ़ाता है। कांग्रेस पार्टी की तरफ से किसी भी तरह की पावर शेयरिंग की बात नहीं की गई है। कहा जा रहा है कि सियासत को अलविदा कहने वाला डीके सुरेश का बयान डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने के विरोध स्वरूप किया गया है।

बता दें कि कर्नाटक चुनाव परिणाम के पांच दिन बाद कांग्रेस ने सिद्धारमैया को सीएम घोषित किया था। इस दौर कांग्रेस के सीनियर नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा था कि राज्य में सिर्फ कर्नाटक के लोगों के साथ पावर शेयरिंग की जाएगी। डीके सुरेश के मसले पर इंडियन एक्सप्रेस ने जब कांग्रेस पार्टी के वर्किंग प्रेजिडेंट सलीम अहमद ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि वो राज्य में हमारे एकमात्र सांसद हैं। वो पार्टी के बहुत महत्वपूर्ण नेता हैं। कांग्रेस निश्चित ही चाहेगी कि वो चुनाव लड़ें।