Supreme Court News: भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने सिविल मामलों को बार-बार आपराधिक मामलों में बदलने पर उत्तर प्रदेश पुलिस की खिंचाई की है। सीजेआई ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जो हो रहा है, वह सरासर गलत है और कानून के शासन का ब्रेकडाउन है। कोर्ट ने एक मामले में आपराधिक मुकदमा चलाने पर रोक लगा दी और उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार और जांच अधिकारी को दो हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, यह पूरा मामला चेक बाउंस से जुड़ा है। पुलिस ने सिविल मुकदमे को आपराधिक मामले में तब्दील करने के बाद समन जारी किया था और चार्जशीट दाखिल की थी। याचिकाकर्ता ने इसके खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और आरोप लगाया कि पुलिस ने मामले को बदलने के लिए रिश्वत ली।
यूपी में जो हो रहा वह गलत – सीजेआई
सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा, ‘यूपी में जो हो रहा है, वह गलत है। हर रोज सिविल मुकदमों को आपराधिक मामलों में बदला जा रहा है। यह बेतुका है, केवल पैसा न देने को अपराध नहीं बनाया जा सकता। मैं जांच अधिकारी से कहूंगा कि वह गवाह के कठघरे में आएं। आईओ को गवाह के कठघरे में खड़े होने दें और अपराध का मामला बनाने दें। हम निर्देश देते हैं, उसे सबक सीखने दें, यह वह तरीका नहीं है जिससे आप चार्जशीट दाखिल करते हैं। सीजेआई ने कहा कि यह बेहद ही अजीब है कि उत्तर प्रदेश में यह आए दिन हो रहा है।
यूपी पुलिस पर बिफरा सुप्रीम कोर्ट
हम पुलिस पर जुर्माना लगाएंगे – सुप्रीम कोर्ट
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मैं डीजीपी से भी इस मामले में पहल करने के लिए कहूंगा। यह गलत है। हम इस मामले को पास ओवर कर रहे हैं, लेकिन अब जो भी मामला उत्तर प्रदेश में आएगा, हम पुलिस पर जुर्मान लगाएंगे। यह कोई पहली बार नहीं है जब मुख्य न्यायाधीश ने दीवानी मामलों को आपराधिक मामलों में बदलने की बढ़ते ट्रेंड पर चिंता जाहिर की है। पिछले साल दिसंबर में उन्होंने कहा था कि कुछ राज्यों में यह प्रथा है। उन्होंने कहा था कि दीवानी मामलों को बार-बार आपराधिक मामलों में बदलने से न्यायपालिका पर ऐसे मामलों का बोझ बढ़ जाता है जिन्हें दीवानी क्षेत्राधिकार द्वारा निपटाया जा सकता है। सरकारी खैरात के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट सख्त