15-16 जून की रात में चीनी सैनिकों से हाथापायी में भारत के 20 जवान शहीद हो गए। इसमें एक कर्नल रैंक के अधिकारी शामिल हैं। इनके अलावा तीन शहीद जवानों के बारे में जानकारी मिल सकी है। शहीद होने वालों में तमिलनाडु के 40 वर्षीय जवान के पलानी, बिहार के कुंदन ओझा और बंगाल के राजेश ओरांग भी शामिल हैं। इन जवानों ने अपनी हर खुशी और अरमान देश के नाम कुर्बान कर दिया।

पिछले तीन जून को के पलानी का जन्मदिन था। उसी दिन उनका गृह प्रवेश भी था लेकिन वतन की सुरक्षा के खातिर पलानी लद्दाख में डटे रहे। करीब दो हफ्ते बाद अब उनका पार्थिव शरीर उस नए मकान में पहुंचेगा, जिसे उन्होंने बड़े अरमान से बनाया था। 1 जून को पत्नी से फोन पर बात करते हुए पलानी ने कहा था कि अब वे लोग बॉर्डर की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। घबराना मत।

मेजर शैतान सिंह: भारतीय सेना के इस बाहुबली ने 1962 में 1300 चीनी सैनिकों को कर दिया था ढेर

इसी तरह बिहार के कुंदन ओझा अपनी दुधमुंही बच्ची का मुंह भी नहीं देख सके। उससे पहले ही उन्होंने वतन को अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी। कुंदन ओझा मूल रूप से भोजपुर जिले के बिहिया थाना के पहरपुर के रहने वाले थे। 28 साल के कुंदन किसान परिवार से थे। दो साल पहले ही उनकी शादी हुई थी और बीस दिन पहले उन्हें बेटी पैदा हुई थी। घर में लक्ष्मी आने से खुशी का माहौल था लेकिन उनकी मौत ने सबकुछ गमगीन कर दिया। इनका परिवार झारखंड के साहेबगंज में रहता है। कुंदन के शहीद होने की खबर सुनते ही आरा से लेकर साहेबगंज और दिल्ली तक कोहराम मच गया। उनके ससुर दिल्ली में रहते हैं।


इस झड़प में सिपाही राजेश ओरांग भी शहीद हो गए। राजेश की इसी महीने शादी होने वाली थी लेकिन उससे पहले ही उन्होंने देश को अपने प्राणों की आहूति दे दी। राजेश पश्चिम बंगाल के बेलघोरिया के रहने वाले थे और 16वीं बिहार रेजिमेंट के जवान थे।