प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के दोनों सदनों में सत्र के दौरान बीजेपी सांसदों की उपस्थिति को लेकर नाराजगी व्यक्त की है। दरअसल संसद सत्र के दौरान कई सांसद संसद की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेते हैं, जिस पर पीएम मोदी ने नाराजगी व्यक्त की है। पीएम की नाराजगी के बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अपने सांसदों को इस मुद्दे पर कई निर्देश दिए हैं।

भाजपा ने दोनों सदनों में अपने चीफ़ व्हिप को भी सांसदों की उपस्थिति को लेकर कहा था कि वह इस को सुरक्षित करें। लेकिन अब चीफ व्हिप के लिए भी यह काफी मुश्किल काम लग रहा है। वहीं अब पार्टी इस बात पर नजर रख रही है कि स्टैंडिंग कमेटी की बैठकों में पार्टी के कितने सांसद हिस्सा ले रहे हैं।

दोनों सचिवालय (राज्यसभा और लोकसभा) के अधिकारियों को संसदीय पैनल की बैठकों में रैंडम चेक करने के लिए भी कहा गया है कि आखिर यह पता लगाया जाए कि वास्तव में कितने सांसद बैठकों में भाग ले रहे हैं। बता दें कि नवंबर के तीसरे सप्ताह से शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है और दोनों सदनों में पार्टी के चीफ व्हिप को सदन के अंदर सांसदों की उपस्थिति सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

वहीं केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कुछ दिन पहले कहा था कि केंद्र सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान 1500 से अधिक अप्रचलित और पुराने कानूनों को रद्द करेगी। रिजिजू ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों के जीवन में सरकारी हस्तक्षेप को कम करना चाहते हैं। कानून मंत्री ने कहा कि अप्रचलित कानून आम लोगों के सामान्य जीवन में बाधा हैं तथा वर्तमान समय में ये कानून प्रासंगिक नहीं हैं और न ही ये कानून की किताबों में रहने के लायक हैं।

जबकि केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी कहा है कि व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने के लिए कुछ प्रावधानों को अपराध से मुक्त करने को लेकर मंत्रालय एक कानून पर काम कर रहा है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इस संबंध में संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में एक विधेयक पेश किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उद्योग जगत से अनुपालन को कम करने और अनावश्यक धाराओं को अपराध से मुक्त करने पर जल्द अपनी राय या प्रतिक्रिया देने का आग्रह भी किया गया है।