उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि देश में कोविड-19 महामारी पर काबू पाने के लिए जारी दिशानिर्देशों और मानकों पर अमल करने में लापरवाही के कारण ही यह ‘जंगल की आग’ की तरह फैली है। न्यायालय ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि कोरोना वायरस का इलाज का खर्च आम जनता की सीमा से बाहर है।
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन द्वारा ज्यादा से ज्यादा प्रावधान करने या निजी अस्पतालों द्वारा लिए जा रहे शुल्क की सीमा निर्धारित करने का सुझाव दिया है। पीठ ने कहा कि दिशा निर्देशों और निर्धारित प्रक्रिया का उल्लघन करने वालों के खिलाफ ‘कठोर और सख्त कार्रवाई’ की जानी चाहिए क्योंकि उन्हें दूसरों के जीवन से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
न्यायालय ने कोविड-19 के खिलाफ संघर्ष को विश्व युद्ध बताते हुए कहा कि अप्रत्याशित स्तर की इस महामारी से दुनिया में हर कोई किसी न किसी रूप में जूझ रहा है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन के पीठ ने कहा कि कर्फ्यू लगाने या लाकडाउन लागू करने जैसे किसी भी निर्णय की घोषणा काफी पहले की जानी चाहिए ताकि लोग इसके और अपनी आजीविका के बारे में पहले से जान सकें।
पीठ ने कहा कि चिकित्सकों और नर्सो सहित पहली कतार के स्वास्थ्यकर्मी ‘आठ महीने से निरंतर काम करते करते शारीरिक और मानसिक रूप से थक गए हैं’ और अब उन्हें भी कुछ आराम देने का रास्ता खोजने की आवश्यकता है।
न्यायालय ने कहा कि प्रत्येक सरकार को इस महामारी के दौर में केंद्र के साथ पूरे सौहार्दपूर्ण तरीके से चौकसी के साथ काम करना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘यह समय मौके को देखते हुए ऊपर उठने का है। दूसरी बातों में उलझने की बजाए नागरिकों का स्वास्थ और उनकी सुरक्षा पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।’ शीर्ष अदालत ने कोविड-19 महामारी पर अंकुश पाने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश और मानकों का पालन करने के लिए निर्देश जारी किए हैं।
पीठ ने कहा, ‘अगर कोई कोविड-19 के संक्रमण को हरा देता है तो भी वह इसके मंहगे इलाज की वजह से आर्थिक रूप से टूट जाता है। इसलिए राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को ज्यादा से ज्यादा प्रावधान करने होंगे या फिर निजी अस्पतालों द्वारा लिए जाने वाले शुल्क की अधिकतम सीमा निर्धारित की जाए। आपदा प्रबंधन कानून के अंतर्गत प्राप्त अधिकारों से ऐसा किया जा सकता है।’
न्यायालय ने कहा कि हम पहले ही कोविड-19 पर अंकुश पाने के लिए अनेक कदम उठाने के बारे में निर्देश दे चुके हैं। हम एक बार फिर दोहरा रहे हैं कि राज्य इन उपायों का पालन करने के लिये निर्देश जारी करें। न्यायालय ने कहा कि फूड कोर्ट, खान पान के स्थानों, सब्जी मंडियों, मंडियों, बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों जैसे भीड़भाड़ वाले स्थानों पर ज्यादा पुलिस तैनात की जाए।