एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) के माध्यम से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) को नकारात्मक रिटर्न मिला है। 31 मार्च तक 1.03 लाख करोड़ रुपए पर कुल संचयी रिटर्न लगभग -8.3% है। यह सरकार समर्थित केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई) ईटीएफ (ETF) में निवेश पर -24.36% है। सरकार समर्थित भारत 22 ईटीएफ में निवेश पर ईपीएफओ का रिटर्न – 19.73% है।

अन्य दो सरकार समर्थित ईटीएफ एसबीआई एसेट मैनेजमेंट कंपनी और यूटीआई एसेट मैनेजमेंट कंपनी द्वारा चलाए जाते हैं। मिंट द्वारा आधिकारिक दस्तावेजों की गई समीक्षा के अनुसार, रिटायरमेंट फंड मैनेजर (ईपीएफओ) के लिए एसबीआई एसेट मैनेजमेंट कंपनी में निवेश पर -6.19% और यूटीआई एसेट मैनेजमेंट कंपनी पर -10.06% रिटर्न है। माना जा रहा है कि इस तरह का रिटर्न आने के बाद इस सप्ताह के अंत में होने वाली ईपीएफओ की केंद्रीय बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है।

बता दें कि ईपीएफओ अपने सालाना निवेश का 85 फीसदी हिस्सा डेट मार्केट में और 15 फीसदी हिस्सा ईटीएफ के जरिए इक्विटी में लगाता है। अब तक ईटीएफ में उसका कुल निवेश करीब 1.03 लाख करोड़ रुपए है। हालांकि, ईटीएफ में किया गया निवेश कर्मचारियों के अकाउंट में दिखाई नहीं देता है। उन्हें ईटीएफ में अपना निवेश बढ़ाने का भी कोई विकल्प नहीं मिलता है। हालांकि, इक्विटी में निवेश जोखिम निहित है।

निगेटिव में रिटर्न आने पर माकपा नेता सीताराम येचुरी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘ईपीएफओ के पैसे का इक्विटी में निवेश किए जाने का लगभग सभी कामगारों ने विरोध किया था, क्योंकि इससे उनकी जीवन भर की बचत और मार्केट के उतार-चढ़ाव के कारण उनकी सेवानिवृत्ति के बाद की जिंदगी में आर्थिक संकट आ सकता है। इसके बावजूद 2015 में मोदी सरकार ने सभी विरोधों को दरकिनार करते हुए इस आपदा को निमंत्रण दिया, ताकि उसके घनिष्ठ मित्रों को फायदा पहुंच सके।’

निगेटिव में रिटर्न आने का असर प्रोविडेंट फंड (पीएफ) की ब्याज दर भी पड़ सकता है। बता दें कि कुछ महीने पहले ही ईपीएफओ ने कहा था कि वह निवेश पर कम रिटर्न मिलने की वजह से पीएफ जमा पर ब्याज दर घटाने पर विचार कर रहा है।