जाने-माने पर्यावरणविद् डॉ.आरके पचौरी का गुरुवार को निधन हो गया। वह 79 साल के थे। डॉ.पचौरी The Energy and Resources Institute (TERI) के संस्थापक निदेशक और पूर्व चीफ थे। और, लंबे समय से वह दिल की बीमारी से जूझ रहे थे।

मंगलवार को ही उन्हें दिल्ली स्थित Escorts Heart Institute अस्पताल में लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। सूत्रों ने बताया कि वहां उनकी ओपन हर्ट सर्जरी भी हुई थी।

टेरी के मौजूदा महानिदेशक अजय माथुर के हवाले से समाचार एजेसी PTI की रिपोर्ट में कहा गया कि लंबे समय से कार्डिएक एलमेंट (दिल की बीमारी) से पीड़ित होने के चलते वह नहीं रहे।

TERI के बयान में माथुर की तरफ से कहा गया- बड़े दुख के साथ हमें बताना पड़ रहा है कि आरके पचौरी अब नहीं रहे। पूरा टेरी परिवार उनके घरवालों के साथ इस दुख की घड़ी में साथ खड़ा है।

बकौल माथुर, “TERI जो कुछ भी है, वह डॉ.पचौरी की देन है। उन्होंने संस्थान के विकास में अहम भूमिका अदा की। और, इसे अहम वैश्विक संस्थान बनाया।”

साल 2015 में डॉ.पचौरी पर सहकर्मी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था, जिसके बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

इससे पहले, वर्ष 2007 में डॉ.पचौरी की अध्यक्षता में Intergovernmental Panel on Climate Change (IPCC) को Nobel Peace Prize मिला था।

थोड़ा करीब से जानें डॉ.पचौरी कोः 20 अगस्त, 1940 को नैनीताल (अब उत्तराखंड में) जन्में डॉ.पचौरी ने लखनऊ के La Martiniere College से पढ़ाई की थी। आगे उन्होंने Indian Railways Institute of Mechanical and Electrical Engineering में भी शिक्षा ली।

यही नहीं, उन्होंने अमेरिका की North California State University से बाद में Industrial Engineering में मास्टर ऑफ साइंस की उपाधि भी ली। फिर इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग और इकनॉमिक्स में उन्होंने पीएचडी हासिल की।

पचौरी साहब विभिन्न अमेरिकी विश्वविद्यालयों में प्रोफसर रहे। फिर 1982 में वह टेरी के निदेशक बने। वह इसके अलावा 1990 में विश्व बैंक में विजिटिंग रिसर्च फेलो भी रहे, जबकि वर्ष 2002 में उन्हें यूएन पैनल आईपीसीसी का चेयरमैन चुना गया था।