प्रवर्तन निदेशालय देश के अलग-अलग कोनों में छापेमारी करके फर्जी कंपनियों को खोज रही है। इसमें देश के 100 अलग-अलग ठिकानों पर छापे मारे जा रहे हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, 300 फर्जी कंपनियों पर प्रवर्तन निदेशालय की नजर है। उन कंपनियों पर नोटबंदी के बाद 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को ट्रांसफर करने का आरोप है। इसके लिए दिल्ली, मुंबई और चेन्नई, बेंगलुरु, भुवनेश्नर, कोलकाता और बाकी मेट्रो शहरों में छापेमारी की जा रही है। ईडी इस बात की भी जांच कर रहा है कि इन कंपनियों का मालिक कौन है।
इस सर्च ऑपरेशन में मुंबई का एक ऑपरेटर भी पकड़ा गया जो कि 20 नकली डायरेक्टर बनाकर 700 फर्जी कंपनियां चला रहा था। उसने छगन भुजबुल के 46.7 करोड़ रुपए का काला धन सफेद में बदला था।
फर्जी कंपनियों पर काले धन को सफेद करने में मदद करने का भी आरोप है। बताया जा रहा है कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारे पर किया जा रहा है। मोदी की तरफ से फर्जी कंपनियों को सामने लाने के लिए कहा गया है जिन्होंने नोटबंदी के वक्त में लोगों को पैसा छिपाने में मदद की थी।
यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) की रोकथाम के तहत की जा रही है। यह काम प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा स्पेशल टास्क फोर्स बनावाकर ईडी द्वारा करवाया जा रहा है। पिछले हफ्ते भी कुछ लोगों की करोड़ों की संपत्ति जब्त की गई थी।
क्या होता है फर्जी कंपनी: इन कंपनियों को नाममात्र की पूंजी से चलाया जा रहा होता है, लेकिन शेयर प्रीमियम को ऊंचा रखा जाता है। ये कंपनी लिस्ट से बाहर वाली कंपनियों में निवेश करती हैं। इन पास नकद काफी होता है। ज्यादातर शेयर होल्डर प्राइवेट कंपनियों के होते हैं। ऐसी कंपनियों में टर्न ओवर काफी कम दिखाया जाता है। खर्चे को नाममात्र का रखा जाता है। इसके अलावा वैधानिक भुगतान और व्यापार में स्टॉक और न्यूनतम निश्चित संपत्ति को रखा जाता है।