केंद्र के बीस लाख करोड़ रुपए के आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज में से सिर्फ तीन लाख करोड़ रुपए इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) के माध्यम से मंजूर किए गए। IANS ने पुणे के व्यापारी प्रफुल्ल सारदा द्वारा दाखिल आईटीआई के जवाब में मिली जानकारी से ऐसा दावा किया है। इसके अनुसार मंजूर हुई राशि में से विभिन्न राज्यों को अभी तक करीब 1.20 लाख करोड़ रुपए कर्ज के रूप में दिए गए हैं। ये देश के लगभग 130 करोड़ भारतीयों में प्रति व्यक्ति करीब आठ रुपए बैठते हैं, जिसे बाद में राज्यों सरकारों को लौटाना होगा। बता दें कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने मई में कोरोना संकट से निपटने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की थी।

आरटीआई में पैकेज के सेक्टर और राज्यवार कर्ज लेने व सरकार के पास बची हुई राशि के बारे में जानकारी मांगी थी। इसके मुताबिक महाराष्ट्र ने ECLGS योजना के जरिए सबसे अधिक 14,364.30 करोड़ रुपए का कर्ज लिया। इसी तरह तमिलनाडु (12,445.58 करोड़ रुपए), गुजरात (12,005.92 करोड़ रुपए), उत्तर प्रदेश (8,907.38 करोड़ रुपए), राजस्थान (7,490.01 करोड़ रुपए), कर्नाटक (7,249.99 करोड़ रुपए), लक्षद्वीप (1.62 करोड़ रुपए), लद्दाख (27.14 करोड़ रुपए), मिजोरम (34.80 करोड़ रुपए) और अरुणाचल प्रदेश ने 38.54 करोड़ रुपए लिए।

प्रफुल्ल सारदा पूछते हैं कि पैकेज की घोषणा के आठ महीने बाद बचे हुए 17 लाख करोड़ रुपए कहां हैं? क्या ये भारतीयों के लिए एक जुमला था? ECLGS को कोविड-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए MSMEs और अन्य क्षेत्र के व्यवसायों को लॉकडाउन के दौरान मंदी से उबरने में मदद करने के लिए पेश किया गया था। MSME और मुद्रा लोन के अलावा सरकार ने बिजनेस के लिए व्यक्तिगत कर्ज को भी कवर करने के लिए ECLGS योजन के दायरे का विस्तार किया था।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद वित्त मंत्री ने 13 मई से 17 मई के दौरान आयोजित कई संवाददाता सम्मेलनों में एएनबीपी 1.0 की घोषणा की थी। उसके बाद 12 अक्टूबर को पैकेज 2.0 और 12 नवंबर को तीसरे पैकेज की घोषणा की गई।