हालिया विधानसभा चुनावों में हार से भाजपा को बड़ा झटका लगा है। यही वजह है कि आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा सरकार कोई ऐसी घोषणा कर सकती है, जिससे वह अपना खोया हुआ जनाधार फिर से वापस पा सके? अब एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि केन्द्र की मोदी सरकार 2019 लोकसभा चुनाव से पहले किसानों का 4 लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ कर सकती है! हिंदीपट्टी के और मजबूत जनाधार वाले राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हार के बाद मोदी सरकार किसानों की कर्ज माफी का फैसला कर सकती है। बता दें कि इन राज्यों में अभी कमाई का मुख्य आधार खेती ही है। इसके अलावा हालिया चुनावों में भाजपा की हार का कारण भी किसानों की नाराजगी को ही माना जा रहा है।

मोदी सरकार जल्द बना सकती है योजनाः रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, मोदी सरकार जल्द ही इस दिशा में काम शुरु कर देगी। सरकार अपनी इस योजना के तहत देश के 2.63 करोड़ किसानों का कर्ज माफ कर सकती है। 2019 लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है, ऐसे में किसानों की कर्ज माफी जैसी बड़ी घोषणा कर सरकार मतदाताओं की बड़ी संख्या को अपने पाले में खींचने की योजना बना रही है। कर्ज माफी के साथ ही सरकार फसलों के समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी आदि का भी ऐलान कर सकती है। कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी का कहना है कि ‘लोकसभा चुनाव नजदीक हैं और आप जानते हैं कि सरकार ने किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए कुछ नहीं किया है, इसलिए अब आप (सरकार) किसानों को कर्ज माफी जैसी लुभावनी योजना लाने जा रहे हैं।’

farmers loan waiver
(express photo)

सरकार के सूत्रों के आंकड़ों के अनुसार, इस योजना के तहत सरकार किसानों का 4 लाख करोड़ रुपए का लोन माफ कर सकती है। बता दें कि यदि ऐसा होता है तो ये किसी भी सरकार द्वारा किसानों को दी जाने वाली यह सबसे बड़ी राहत होगी। उल्लेखनीय है कि साल 2008 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने भी किसानों का 72 हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया था, जिससे यूपीए सरकार साल 2009 के लोकसभा चुनावों में ज्यादा बहुमत के साथ सत्ता में वापस आयी थी।

बढ़ सकता है राजकोषीय घाटाः हालांकि सरकार का यह ऐलान देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान भी पहुंचा सकता है। दरअसल मोदी सरकार द्वारा किसानों की कर्ज माफी के ऐलान से देश का राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है। बता दें कि देश का राजकोषीय घाटा कुल जीडीपी के 3% से अधिक हो चुका है, जो कि अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक बात है। इस वित्तीय वर्ष में सरकार ने राजकोषीय घाटा कुल जीडीपी के 3.3% या 6.24 लाख करोड़ रुपए तक सीमित रखने की योजना बनायी थी। लेकिन बिना किसानों की कर्ज माफी के ऐलान के बावजूद कुछ क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने देश का राजकोषीय घाटा कुल जीडीपी के 3.5% यानि कि 6.67 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की बात कही है।

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कुछ किसान नेताओं का मानना है कि ताजा विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार का मुख्य कारण किसानों की नाराजगी है। इसके अलावा भाजपा को ग्रामीण इलाकों से भी खास समर्थन नहीं मिल पाया, जिसका खामियाजा उसे अपने मजबूत जनाधार वाले राज्यों में हार के रुप में उठाना पड़ा। किसानों की सरकार से नाराजगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते दिनों दिल्ली और मुंबई में देशभर से आए किसानों ने विरोध प्रदर्शन किए, जिनकी गूंज पूरे देश में सुनाई दी। बीते दिनों जब किसानों से हुई बातचीत में भी ये बात निकलकर सामने आयी है कि किसान भी उसी पार्टी को वोट देने की बात कह रहे हैं, जो उनका कर्ज माफ करेगी।