चुनाव आयोग ने रविवार को बताया है कि बिहार में चल रहे Special Intensive Revision (SIR) के दूसरे चरण की डेडलाइन खत्म होने से पहले 98.2% वोटर्स के दस्तावेज उसे मिल चुके हैं। दूसरे चरण की डेडलाइन 1 सितंबर की है। SIR के पहले चरण के दौरान 25 जून से 25 जुलाई तक मतगणना फॉर्म इकट्ठा किए गए थे।

चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि 1 जुलाई तक 3,28,847 नए मतदाता जो 18 वर्ष या उससे अधिक के हो गए हैं और जो लोग 1 अक्टूबर तक 18 वर्ष के हो जाएंगे, उन्होंने भी फॉर्म 6 जमा कर दिया है। वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने के लिए फॉर्म 6 भरना जरूरी होता है।

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आयोग ने कहा है कि Electoral Registration Officers (ERO) और सहायक EROs सभी दावों और आपत्तियों पर फैसला लेंगे और 25 सितंबर तक डॉक्यूमेंट्स का वेरिफिकेशन कर देंगे।

वोटर लिस्ट की अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होनी है। ऐसे सभी लोग जो वोटर लिस्ट की ड्राफ्ट सूची से बाहर रह गए हैं, वे भी 1 सितंबर तक अपने दावे और आपत्तियां दर्ज कर सकते हैं।

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SIR के मुद्दे पर राजनीतिक घमासान

बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं और चुनाव आयोग जल्द ही तारीखों का ऐलान कर सकता है। इससे पहले बिहार में SIR के मुद्दे पर जोरदार राजनीतिक घमासान चल रहा है। राहुल गांधी, तेजस्वी यादव सहित तमाम विपक्षी नेता SIR के खिलाफ यात्रा निकाल रहे हैं।

SIR के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सुनवाई करते हुए हैरानी जताई थी कि बिहार में राजनीतिक दलों के 1.60 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) हैं लेकिन चुनाव आयोग का कहना है कि इस मामले में केवल दो आपत्तियां दर्ज की गई हैं।

SIR के पहले चरण के बाद चुनाव आयोग ने कहा था कि बिहार के करीब 7.89 करोड़ रजिस्टर्ड मतदाताओं में से लगभग 92% के नाम (7.24 करोड़) मतदाता वोटर लिस्ट की ड्राफ्ट सूची में शामिल किए गए थे।

आयोग ने कहा था कि 22 लाख वोटर ऐसे हैं जिनकी मौत हो चुकी है लगभग 7 लाख मतदाता एक से ज्यादा जगह पर रजिस्टर्ड हैं, 35 लाख लोग स्थायी रूप से बिहार से चले गए हैं या उनके बारे में पता नहीं लग पाया है। यह आंकड़ा 65 लाख के आसपास बैठता है। चुनाव आयोग ने कहा है कि ऐसे सभी लोगों की सूची 12 राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के साथ शेयर की गई थी।