महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा अभी भी जारी है और रोज कोई नए मोड़ देखने को मिल रहे हैं। इसी सियासी ड्रामे से शिंदे गुट के कुछ विधायक परेशान बताए जा रहे थे, अटकलें चली पड़ी थीं कि कुछ खेल हो सकता है। लेकिन इस बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने विधायकों के साथ एक बैठक की और अब उस बैठक के बाद उनकी तरफ से एक बयान दिया गया है।

शिंदे की दो टूक, नहीं होगी अब बगावत?

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साफ कर दिया है कि एनसीपी के आने से शिवसेना में किसी भी तरह का असंतोष नहीं है और वे एनसीपी के साथ मिलकर ही काम करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि हमे पता है कौन ऐसी खबरें प्लांट कर रहा है। एनसीपी के आने से कोई असंतुष्टि नहीं, किसी को भी असुरक्षित होने की जरूरत नहीं। ये सभी को समझना चाहिए कि एनसीपी का साथ आना राजनीतिक घटना है। अब एकनाथ शिंदे का ये बयान बताने के लिए काफी है कि उन्होंने अजित पवार को अभी के लिए खुले दिल से स्वीकार कर लिया है।

वैसे जिस समय शिंदे गुट के विधायकों ने बगावत की थी, तब उसकी एक वजह अजित पवार भी रहे थे। उस समय कहा गया था कि शिंदे गुट के विधायकों को अजित के वित्त मंत्री रहते समय फंड्स नहीं मिलते थे जिस वजह से विकास कार्य रुक जाते थे। लेकिन अब क्योंकि वहीं अजित एनडीए के साथ आ गए तो शिंदे गुट के विधायकों में असंतोष की खबरें आने लगीं। अब इससे पहले वो खबरें और बल पकड़ती, सीएम शिंदे ने सामने से आकर इसे खारिज कर दिया है।

अजित बनाम शरद, कौन मजबूत?

एनसीपी संकट की बात करें तो अभी इस समय अजित पवार ज्यादा मजबूत दिखाई दे रहे हैं। उनके पास 32 विधायकों का समर्थन मौजद है, वहीं शरद पवार के पास वर्तमान में सिर्प 13 विधायक हैं। अभी अजित खेमे को भी चार से पांच और विधायकों की जरूरत है, तब जाकर वे खुद को दल बदल कानून से सुरक्षित रख पाएंगे। ऐसे में चुनौतियां बची हैं, चुनाव आयोग का फैसला भी आना है, ऐसे में इतनी जल्दी जीत-हार तय नहीं होने वाली है।