महाराष्ट्र में मचे सियासी घमासान के बीच उद्धव ठाकरे का धड़ा सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है। उद्धव कैंप के सांसद सुनील प्रभु की तरफ से दायर एक रिट में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र के स्पीकर से उस मामले में जल्द फैसला देने को कहे जिसमें एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है। प्रभु का कहना है कि स्पीकर इस मामले को बेवजह लटका रहे हैं।

ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने शिवसेना में हुई फूट के मामले की सुनवाई की थी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने उद्धव सरकार को बहाल करने का आदेश देने से इनकार करते हुए कहा था कि वो ऐसा नहीं कर सकते, क्योंकि उद्धव ने फ्लोर टेस्ट का सामना किए बगैर ही इस्तीफा दे दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने एकनाथ शिंदे और उनके साथ बागी हुए विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से मना कर दिया था। सीजेआई की बेंच का कहना था कि उन्हें नहीं लगता कि इस मामले में संविधान के अनुच्छेद 226 और 32 के तहत एक्शन लेने की जरूरत है। इस मामले में फिलहाल ऐसी कोई जल्दबादी नहीं दिखती जिससे विशेष प्रावधानों का इस्तेमाल किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर के पाले में डाल दी थी गेंद

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर के पाले में गेंद डालते हुए कहा था कि वो एक तय समय के भीतर शिंदे और उनके समर्थक विधायकों की अयोग्यता पर फैसला करें। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पीकर के उस फैसले को गलत करार दिया था जिसके तहत स्पीकर ने शिंदे ग्रुप के विधायक को शिवसेना का व्हिप घोषित कर दिया था। कोर्ट का कहना था कि व्हिप नियुक्त करना राजनीतिक दल का विशेषाधिकार है।

शिंदे और उनके समर्थक विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग वाली याचिका सांसद सुनील प्रभु की तरफ से दायर की गई है। विधायकों की बगावत के बाद प्रभु को उद्धव ने 23 जून 2022 को पार्टी व्हिप बनाया था। स्पीकर की गैर मौजूदगी में अयोग्यता वाला नोटिस डिप्टी स्पीकर नरहरि जरवाल ने जारी किया था।