सूत्रों ने कहा कि छापेमारी में 75 लाख रुपए नगद और 200 बैंक खातों और लगभग 50 मुखौटा (शेल) कंपनियों से जुड़े दस्तावेज जब्त किए गए।प्रयागराज में 15 परिसरों पर सुबह-सुबह छापेमारी की गई, जिसमें उत्तर प्रदेश पुलिस की टीमों ने ईडी अधिकारियों को सशस्त्र सुरक्षा प्रदान की। यह कार्रवाई उस दिन हुई जब पूर्व विधायक को करीब एक पखवाड़े में दूसरी बार अहमदाबाद के साबरमती केंद्रीय कारागार से प्रयागराज के नैनी केंद्रीय कारागार लाया गया। उमेश पाल हत्याकांड के सिलसिले में उसे एक अदालत में पेश किया जाएगा। अतीक पर उत्तर प्रदेश में 100 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। उसके और परिवार के खिलाफ धनशोधन का ईडी का मामला इन प्राथमिकियों पर आधारित है।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि ईडी की टीमों ने 75 लाख रुपए नगद, कुछ विदेशी मुद्रा, लगभग 200 बैंक खातों और 50 मुखौटा संस्थानों से संबंधित दस्तावेज और पासबुक जब्त किए हैं, जिनके बारे में संदेह है कि अतीक व उसने सहयोगियों ने इनका इस्तेमाल जबरन वसूली, जमीन हड़पने और अन्य आपराधिक गतिविधियों से अर्जित ‘गलत कमाई के शोधन के लिए किया। सूत्रों के अनुसार, ईडी ने जिन लोगों के खिलाफ छापेमारी की उनमें अतीक अहमद के रिश्तेदार खालिद जफर, उसके साथी व वकील सौलत हनीफ खान, उसके सहयोगी असद, वदूद अहमद, काली, मोहसिन, लेखाकार सबीह अहमद, आसिफ जाफरी और सीताराम शुक्ला तथा भवन निर्माण कारोबारी संजीव अग्रवाल तथा दीपक भार्गव शामिल हैं।

संघीय जांच एजंसी ने अतीक अहमद के करीबी सहयोगियों और फर्मों के नाम पर 100 से अधिक संपत्तियों से संबंधित कुछ दस्तावेज भी बरामद किए। जांचकर्ताओं को संदेह है कि ये संपत्तियां अहमद की ‘बेनामी’ संपत्तियां हैं। सूत्रों ने कहा कि जांचकर्ताओं ने कुछ दस्तावेज भी बरामद किए हैं जो 50 करोड़ रुपए से अधिक के लेन-देन की ओर इशारा करते हैं।

मुख्तार अंसारी की 127 करोड़ की ‘बेनामी’ संपत्तियों की हुई पहचान

नई दिल्ली : आयकर विभाग ने मुख्तार अंसारी की उत्तर प्रदेश और अन्य स्थानों पर करीब दो दर्जन ‘बेनामी’ संपत्तियों का पता लगाया है जिनकी कुल कीमत करीब 127 करोड़ रुपए है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अंसारी और उसके सहयोगियों के खिलाफ ‘विस्तृत’ कार्रवाई के तहत इन संपत्तियों का पता लगाया गया है।

विभाग द्वारा जारी कुर्की आदेश के मुताबिक उसकी लखनऊ स्थित बेनामी संपत्ति जांच इकाई ने मंगलवार को गाजीपुर जिला स्थित एक भूखंड है जिसका खरीद मूल्य करीब 1.29 करोड़ रुपए है जबकि बाजार कीमत 12 करोड़ रुपए है। कुर्की आदेश के मुताबिक इस मामले में बेनामीदार (जिसके नाम पर संपत्ति है) अंसारी का सहयोगी गणेश डी मिश्रा है जबकि ‘लाभार्थी मालिक’ अंसारी है।

कुर्की आदेश बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन अधिनियम 2016 के तहत आयकर विभाग के उपायुक्त आलोक के सिंह और अपर आयुक्त (बेनामी निषेध इकाई) ध्रुवपुरारी सिंह के नाम से जारी किया गया है। विभाग के सूत्रों ने बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा अंसारी के खिलाफ दर्ज विभिन्न प्राथमिकियों का विश्लेषण और ‘दस्तावेजों व रुपयों की लेनदेन’की जांच, भू दस्तावेजों की जांच और कई खातों से लेनदेन का विश्लेषण करने पर जानकारी मिली की मिश्रा ने कथित तौर पर 90 लाख रुपए का मुचलका भरा था।