दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को ED ने 8वां समन भेजा है। उन्हें 4 मार्च को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। इससे पहले अरविंद केजरीवाल 7 बार समन जारी किए जा चुके हैं लेकिन वह ईडी के सामने पेश नहीं हुए हैं। अरविंद केजरीवाल को यह समन दिल्ली शराब घोटाला मामले में भेजे जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी ईडी के समन को लगातार राजनीति से प्रेरित बता रही है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि सीएम को सरकार गिरफ्तार कर AAP को खत्म करने का प्रयास कर रही है।

अरविंद केजरीवाल पूछताछ के लिए नहीं पहुंचे तो क्या होगा?

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पूछताछ में शामिल होने के बजाय यह सवाल करते रहे हैं कि पहले ईडी इस बात का जवाब दे कि किस हैसियत उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर वह इस बार भी हाजिर नहीं हुए तो क्या होगा? इसके कानूनी पेच क्या हैं? जनवरी 2022 में दिल्ली की एक अदालत में दायर पहली चार्जशीट में ईडी ने दावा किया था कि केजरीवाल ने समीर महेंद्रू नाम के एक आरोपी के साथ वीडियो कॉल पर बात की थी और उसे इस ही मामले में दूसरे आरोपी के साथ काम करते रहने के लिए कहा था। अरविंद केजरीवाल ने इस वीडियो कॉल मामले में आरोपी विजय नायर को ‘माय बॉय’ कहा था।

जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पहला समन आया तो केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि समन भाजपा के इशारे पर जारी किया गया था। उन्होंने कहा था कि यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें गवाह के तौर पर या संदिग्ध के तौर पर बुलाया गया था। केजरीवाल मे यह भी सवाल उठाया था कि उन्हें नहीं पता कि उन्हें सीएम के तौर पर या आप के मुखिया के तौर पर, किस तौर पर बुलाया गया है।

अगर अरविंद केजरीवाल इस बार भी ED के सामने पेश नहीं होते हैं तो ED अगला नोटिस जारी कर सकता है। और सैद्धांतिक तौर पर तब तक नोटिस जारी करता रह सकता है जब तक केजरीवाल ED के सामने पेश नहीं होते हैं, हालांकि अगर वह फिर भी जांच में में शामिल नहीं होते हैं तो ED दो काम कर सकती है…

  1. 1. एक वे अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर कर सकते हैं और मुख्यमंत्री के खिलाफ गैर-जमानती वारंट की मांग कर सकते हैं।

2. मामले की जांच में जुटे अधिकारी उनके आवास पर पहुंच कर पूछताछ कर सकते हैं। इसके बाद अगर अधिकारियों के पास ठोस सबूत हैं, तो वे अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार भी कर सकते हैं।