भारत में मंदी का असर गहराता जा रहा है और देश में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। बता दें कि बेरोजगारी दर के ताजा आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि बीते तीन सालों में बेरोजगारी दर अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। इस साल अक्टूबर में बेरोजगारी दर 8.48 प्रतिशत रही, वहीं सितंबर में यह आंकड़ा 7.2 प्रतिशत था। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी (CMIE) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। अगस्त 2016 के बाद से बेरोजगारी दर का यह सर्वोच्च आंकड़ा है। उल्लेखनीय है कि अगस्त 2016 में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 9.59 प्रतिशत हो गई थी।
हालांकि CMIE के डेटा के अनुसार, मई और सितंबर, 2019 में 25 लाख नौकरियां बढ़ी हैं और देश में मई-अगस्त 2019 के दौरान करीब 40.49 करोड़ लोगों के पास रोजगार है। वहीं इन्हीं माह के दौरान बीते साल 40.24 करोड़ लोगों के पास रोजगार था। रिपोर्ट के अनुसार, यदि मजदूर वर्ग बेरोजगारी का सामना करेगा और रोजगार के मौके कम होंगे तो इसका असर श्रम बाजार पर भी पड़ेगा।
CMIE रिपोर्ट में बताया गया है कि मई-अगस्त 2018 में रोजगार मई-अगस्त 2017 की तुलना में 55 लाख कम हैं। इसी तरह साल 2017 में साल 2016 के मुकाबले 6 लाख नौकरियां कम हुईं थी।
गौरतलब है कि बीते साल भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट का दौर शुरु हुआ था। जिसके तहत उपभोग में कमी आयी है, निजी कैपिटल एक्सपेंडिचर गिरा है और देश के बैंकिंग सेक्टर में परेशानी शुरु हुई है। शुक्रवार को IHS Markit द्वारा किए गए सर्वे Nikkei Manufacturing Purchasing Managers Index के अनुसार, देश में औद्योगिक गतिविधियों में भी बीते दो सालों के दौरान गिरावट आयी है।
देश की आठ अहम कोर इंडस्ट्री की ग्रोथ भी सितंबर में 5.2 प्रतिशत रही, जो कि बीते एक दशक के दौरान सबसे कम है। इन आठ कोर इंडस्ट्री में से 7 की ग्रोथ में कमी देखी गई है। जिन इंडस्ट्री में कमी आयी है, उनमें कोयला उत्पादन, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस, रिफाइनरी उत्पाद, सीमेंट, इस्पात और बिजली शामिल हैं।