दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को आर्थिक सर्वे पेश किया। इस दौरान यह सामने आया कि दिल्ली सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए प्रायरिटी सेक्टर की योजनाओं पर केवल 43,700 करोड़ रुपए खर्च करने का बजट रखा है। इसमें इसके पहले वाले वित्त वर्ष की तुलना में केवल 100 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है।
6,000 करोड़ रुपये नहीं हुए खर्च
इन योजनाओं के लिए 2022-23 में 38,700 करोड़ का बजट था और उसकी तुलना में 2023-24 में 11.4% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई। 2023 में आवंटित बजट 38,700 करोड़ था और इसमें से 32,647 करोड़ रुपये खर्च किए गए। यानी 6,000 करोड़ रुपये नहीं खर्च हुए।
25 फीसदी अधिक हुआ खर्च
फिर भी पिछले साल के वास्तविक खर्च की तुलना इस साल के बजट खर्च से करें तो 25 फीसदी की वृद्धि दिख रही है। परिवहन विभाग को 9,000 करोड़ रुपये मिला जबकि शिक्षा के क्षेत्र में 7,500 करोड़ रुपये आवंटित किया गया 6,360 करोड़ रुपये आवास और शहरी विकास के लिए, चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य को बजट के रूप में 4,830 करोड़ रुपये और जल आपूर्ति और स्वच्छता के लिए 5,442 करोड़ रुपये आवंटित किया गया। उर्जा क्षेत्र को 3,340 करोड़ रुपये का बजट मिला।
सामान्य शिक्षा का 2022-23 का बजट 5,830 करोड़ रुपये था, जो 2023-24 के 5,748 करोड़ रुपये से 80 करोड़ रुपये अधिक है। यानी इसमें कमी आई है। हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष सामान्य शिक्षा को 240 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिले है।
स्वास्थ्य के बजट में लगभग 800 करोड़ रुपये की कमी
चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बजट में लगभग 800 करोड़ रुपये की कमी देखी गई। यहां तक कि आरई में भी 46 करोड़ रुपये की गिरावट देखी गई। पिछले वर्ष जल आपूर्ति और स्वच्छता के लिए बजट अनुमान 6,710 करोड़ रुपये था, जो इस वर्ष के बजट से लगभग 1,300 करोड़ रुपये अधिक है। हालांकि वास्तव में केवल 3,674.3 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। पिछले वर्ष के 3,336 करोड़ रुपये की तुलना में इस वर्ष ऊर्जा के बजट में 9 करोड़ रुपये की मामूली वृद्धि हुई।