लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले हाल ही में ही चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने इस्तीफा दे दिया। निर्वाचन आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की संभावित घोषणा से कुछ दिन पहले ही गोयल ने शुक्रवार को निर्वाचन आयुक्त के पद से इस्तीफा दे दिया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया और कानून मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी करके इसकी घोषणा की। चुनाव से कुछ समय पहले उनके इफ्तीफे पर विवाद बढ़ गया है। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस ने पूछा कि चुनाव आयुक्त ने निजी कारणों से इस्तीफा दिया है या उनके चुनाव लड़ने की संभावना है?

कांग्रेस ने कहा कि गोयल के इस्तीफे से तीन सवाल खड़े हुए हैं। कांग्रेस संचार प्रमुख जयराम रमेश ने कहा, “क्या उन्होंने वास्तव में मुख्य चुनाव आयुक्त या मोदी सरकार के साथ मतभेदों पर इस्तीफा दिया था या फिर उन्होंने निजी कारणों से इस्तीफा दिया या उन्होंने कुछ दिन पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की तरह भाजपा के टिकट पर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया था?”

यह देखने के लिए इंतजार करना होगा कि वह क्या करते हैं- मल्लिकार्जुन खड़गे

गोयल के इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह देखने के लिए इंतजार करना होगा कि वह आने वाले दिनों में क्या करते हैं। उन्होंने कहा, “मैं उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के बारे में सोच रहा था जो इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए और टीएमसी को गाली देना शुरू कर दिया। इससे पता चलता है कि भाजपा ने ऐसी मानसिकता वाले लोगों को नियुक्त किया है। अब चुनाव आयुक्त ने इस्तीफा दे दिया है, हमें यह देखने के लिए कुछ समय इंतजार करना चाहिए कि वह क्या करते हैं।”

AAP ने भी उठाए सवाल

आप नेता आतिशी ने कहा कि अरुण गोयल वही चुनाव आयुक्त हैं जिन्हें भाजपा सरकार ने जल्दबाजी में नियुक्त किया था। दिल्ली की मंत्री ने कहा, “जब उनकी नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट में चुनौती के लिए आई तो अदालत ने यह भी पूछा कि आखिर ऐसी क्या जल्दी थी कि फ़ाइल को मंजूरी दे दी गई और उन्हें 24 घंटे के भीतर नियुक्त कर दिया गया।”

आतिशी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “ऐसा चुनाव आयुक्त जिसे भाजपा सरकार ने नियुक्त किया था, जो उनका आदमी था, जिसकी नियुक्ति का सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बचाव किया था, अगर ऐसे चुनाव आयुक्त ने इस्तीफा दे दिया है तो पूरा देश आज एक सवाल पूछ रहा है। उन्होंने आगे कहा, “भाजपा सरकार ने अरुण गोयल को ऐसा क्या करने के लिए कहा, चुनावों में उन्हें कौन सी अनियमितताएं करने के लिए कहा गया था कि उनका अपना व्यक्ति ऐसा नहीं कर सका और उन्होंने इस्तीफा देना बेहतर समझा।”

नये निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए 15 मार्च को बैठक

नये निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए नामों को अंतिम रूप देने के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति की बैठक 15 मार्च 2024 को होगी। निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय की पिछले महीने सेवानिवृत्ति और अरुण गोयल के अचानक इस्तीफे से निर्वाचन आयुक्तों के दो पद खाली हो गए हैं।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति में एक केंद्रीय मंत्री और लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी शामिल हैं। समिति की बैठक 15 मार्च को होगी और निर्वाचन आयुक्तों के रूप में नियुक्ति के लिए नामों को अंतिम रूप दिया जाएगा। इसके बाद निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी। सूत्रों ने कहा कि पांडेय की सेवानिवृत्ति और गोयल के आश्चर्यजनक इस्तीफे से बनी रिक्तियों को भरने के लिए दो नए निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति 15 मार्च तक होने की संभावना है।