उच्च शिक्षा से जुड़े देश के सभी हितधारक को अब अपनी समस्याओं के समाधान के लिए दर-दर भटकना नहीं पड़ेगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से ‘ई-समाधान’ सेवा शुरू की गई है। इस सेवा का लाभ न केवल विद्यार्थी ही उठा पाएंगे बल्कि उच्च शैक्षणिक संस्थानों के अधिकारी, शिक्षक और कर्मचारी भी उठा सकेंगे। ‘ई-समाधान’ सेवा तक यूजीसी की वेबसाइट या फोन नंबर 1800-111-656 के माध्यम से पहुंचा जा सकता है।
किसी भी विश्वविद्यालय में प्रवेश ले रहे या प्रवेश के बाद किसी भी प्रकार की समस्या जैसे फीस वापसी में आ रही मुश्किलें, रैंगिंग आदि से जूझ रहे विद्यार्थी, इस पोर्टल के माध्यम से अपनी समस्याओं का समाधान पा सकेंगे। देश भर के केंद्रीय व राज्य विश्वविद्यालयों, उनसे संबद्ध महाविद्यालयों और अन्य सरकारी व निजी क्षेत्र के उच्च शिक्षा संस्थानों में किसी भी प्रकार की समस्या के लिए देश के करोड़ों विद्यार्थी अपनी शिकायतें सीधे शीर्ष नियामक को बता सकेंगे और उनका समाधान पा सकेंगे।
यूजीसी ‘ई-समाधान’ पोर्टल के बारे में बताते हुए आयोग के अक्ष्यक्ष एम. जगदीश कुमार कहा कि इससे उच्च शिक्षा क्षेत्र के सभी हितधारकों – 1,043 विश्वविद्यालयों, 42,343 कालेजों, 3.85 करोड़ विद्यार्थियों और 15.03 लाख शिक्षकों को फायदा होगा। उन्होंने कहा इससे विशेषतौर पर विद्यार्थियों और शिक्षकों के सामने आने वाली समस्याओं के निवारण में आसानी होगी। कुमार ने बताया कि इस सेवा के जारी होने के बाद से हर दिन औसतन ढाई सौ लोगों के फोन आ रहे हैं और वे अपनी समस्याओं को बता रहे हैं। इनमें से फोन काल का जवाब दिया जा रहा है।
अधिक संख्या में काल आने की वजह से कुछ काल छूट जा रही हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए ज्यादा कर्मचारियों को फोन सुनने के कार्य में लगाया जाएगा। देश भर के केंद्रीय व अन्य विश्वविद्यालयों और उनके महाविद्यालयों में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के लिए दाखिले प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। ऐसे में आयोग की ओर से शुरू की गई इस सेवा ‘ई-समाधान’ पोर्टल के माध्यम से विद्यार्थियों को होने वाली समस्याओं का निपटारा समय से और उचित ढंग से किया जा सकेगा।
कुमार के मुताबिक ‘ई-समाधान’ पर दर्ज की गई समस्याओं के हल के लिए समय सीमा भी निर्धारित की गई हैं। इसके तहत विद्यार्थियों से संबंधित मामलों को अधिकतम दस कार्यदिवसों में निबटाना होगा। इसी तरह शिक्षकों और गैर शिक्षकों के मामलों को 15 कार्यदिवसों और विश्वविद्यालय व कालेजों के मामलों को अधिकतम 20 कार्यदिवसों में निबटाना आवश्यक है।
प्रस्तुति : सुशील राघव