Dy Chandrachud: देश के पूर्व चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर बड़ा बयान दिया और कहा कि ज्यादा आजादी भी अच्छी नहीं है। उन्होंने इसको लेकर चिंता जताई और कहा कि अगर इसे बिना रोक-टोक के जारी रखा जाए, तो अधिक शक्ति रखने वाले लोगों के लिए हथियार बन सकता है, जिससे गरीब और कमजोर वर्गों की आवाज दबाई जा सकती है।
दरअसल, केरल हाई कोर्ट में संविधान के तहत बंधुता- एक समावेशी समाज की खोज नामक मुद्दे पर चर्चा हुई थी। इसमें संविधान दिवस पर व्याख्यान देते हुए पूर्व सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि असमान समाज में शक्तिशाली लोग अपनी स्वतंत्रता का उपयोग कमजोर वर्गों के खिलाफ काम करने के लिए कर सकते हैं, इसलिए ज्यादा आजादी भी अच्छी नहीं है।
अभिव्यक्ति की आजादी हो सकती है कमजोरों के लिए खतरनाक
पूर्व सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा एक असमान समाज में, अगर किसी के पास शक्ति है, तो वह अपनी स्वतंत्रता का उपयोग ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देने में करेंगे, जो कि कमजोर वर्गों के लिए हानिकारक होंगी। अगर अभिव्यक्ति पूरी तरह से स्वतंत्र हो तो अधिक संसाधन और शक्ति रखने वाले लोग दूसरों की आवाजों को दबा सकते हैं।
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नफरत फैलाने की वजह बन सकते हैं बयान – बोले पूर्व सीजेआई
पूर्व सीजेआई ने इस दौरान यह भी कहा कि जहां फ्रीडम ऑफ स्पीच और एक्सप्रेशन एक संवैधानिक गारंटी और आकांक्षा है, वहीं इसकी अनियंत्रित अभिव्यक्ति समाज में नफरत फैलाने वाली भावनाओं को बढ़ावा दे सकती है। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान समाज की समानता को बाधित कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर समाज में सभी को समान रूप से बिना किसी अंतर के देखा जाए और संसाधनों के असमान वितरण को नजरंदाज किया जाए, यह अधिक संसाधनों वाले लोगों को लाभ पहुंचाएगा, और कमजोर वर्ग हाशिए पर चली जाएगी।
डी वाई चंद्रचूड़ ने केरल हाई कोर्ट के कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान कहा कि समानता कमजोर वर्गों की स्वतंत्रता को नष्ट कर सकती है। बंधुता एक लोकतंत्र में महान स्थिरता का बल है और सभी के लिए काम करती है। डी वाई चंद्रचूड़ से जुड़ी अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।
