भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कोरोना वायरस संकट और लॉकडाउन को देखते हुए शुक्रवार (22 मई) को लोन की किश्तों पर स्थगन (Moratorium) की मियाद अगस्त तक बढ़ा दी। इस घोषणा से जहां तनावग्रस्त कंपनियों ने राहत की सांस ली है, वहीं बैंकों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। बैंकों को अगली छमाही में झटका लगने की आशंका है। 2020-21 के दूसरी छमाही में बैंकों को 25 से 30 फीसदी एनपीए बढ़ने की चिंता सताने लगी है।

विभिन्न बैंकों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, उनके बकाए ऋण का लगभग 25-30 पीसदी हिस्सा अब तक के स्थगन के तहत आया है, जिसमें सूक्ष्म वित्त उधारकर्ताओं को अत्यधिक तनाव का सामना करना पड़ता है, इसके बाद ऑटोमोबाइल वित्त, एमएसएमई, कॉर्पोरेट और खुदरा ऋण शामिल हैं। भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और एक्सिस बैंक जैसे बड़े उधारदाताओं के लिए,अधिस्थगन के तहत ऋण का हिस्सा 30 फीसदी से कम है।

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बंधन बैंक के लिए यह खतरा और बड़ा है क्योंकि इसके 71 फीसदी उधारकर्ता सूक्ष्म इकाइयों से ही जुड़े हैं। मूलधन और ब्याज भुगतान पर रोक के लिए स्थगन का विकल्प चुनने वाले उधारकर्ताओं में सभी माइक्रो-क्रेडिट ग्राहक हैं। इनमें 35% एसएमई ग्राहक और 59 फीसदी एनबीएफसी-एमएफआई शामिल हैं।

आईसीआईसीआई बैंक के मामले में रिटेल सेगमेंट के अधिकांश ग्राहकों ने आनुपातिक तौर पर अधिस्थगन का विकल्प चुना है। इनमें से ज्यादातर ग्रामीण अपभोक्ता,कॉमर्शियल वाहन खरीदने वाले या दो पहिया वाहन खरीदने वाले ग्राहक शामिल हैं, जिन्होंने लोग किश्त के स्थगन का विकल्प चुना है। कोटक महिंद्रा बैंक में भी रिटेल सेगमेंट के ग्राहक ऐसा विकल्प चुनने वालों में अधिक हैं। अप्रैल 2020 से अधिस्थगन की संख्या में काफी वृद्धि हुई है।

बैंकिंग इंडस्ट्री के सूत्रों ने बताया कि अगले तीन महीनों तक बैंकों को समस्याओं का सामना करने की संभावना नहीं है क्योंकि रिजर्व बैंक की छूट एनपीए को मान्यता देने में सितंबर तक उन्हें राहत प्रदान करेगी लेकिन सितंबर के बाद, 10 लाख करोड़ रुपये के वर्तमान एनपीए के स्तर से ज्यादा होने की आशंका है। आरबीआई ने खुद कहा है कि कोरोना महामारी की वजह से वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी की वृद्धि “नकारात्मक क्षेत्र” में होने की संभावना है।