मुंबई में वर्ष 2008 के नवंबर महीने की 26 तारीख को ऐसा हमला हुआ था, जिसने देश की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। इस हमले में जिंदा पकड़े गए एक मात्र पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब को चार वर्ष बाद 2012 में फांसी दे दी गई थी। इससे पहले अजमल कसाब से कई बार पूछताछ की गई थी। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) गोविदं सिंह सिसोदिया, जो कि पूछताछ करने वाले अफसरों में शामिल थे, ने याद करते हुए बताया कि, “जब अजमल से यह पूछा गया कि यदि उसे छोड़ दिया जाता है और वापस घर जाने की इजाजत दी जाती है तो वह क्या करेगा? इस सवाल के जवाब में कसाब ने कहा कि ‘मैं जाके अपने मां-प्यो दी सेवा करंगा’ (मैं अपने मां बाप की सेवा करूंगा।)”

रिटायरमेंट के बाद सिसोदिया देहरादून में रह रहे हैं। जिस समय उन्होंने कसाब से पूछताछ किया था, उस वक्त वे एनएसजी के डीआईजी (ट्रेनिंग व ऑपरेशन) थे। करीब 45 मिनट तक उन्होंने पूछताछ की थी। मुंबई हमले के 10 साल होने पर मुंबई में कसाब से पूछताछ को याद करते हुए सिसोदिया ने बताया कि कैसे वे सबसे पहले कसाब को कंफर्ट लेवल में ले गए ताकि उससे अधिक से अधिक जानकारी हासिल कर सकें। सिसोदिया ने बताया कि, “माता-पिता के बारे में पूछताछ के दौरान कसाब की भावना सामने आ गई थी। पूछताछ कमरे में जाने से पहले मैं यह धारणा बनाकर गया था कि उससे कई बातों का खुलासा करना मेरे लिए आसान नहीं था, क्योंकि वह एक आत्मघाती मिशन पर आया था।” साथ ही सिसोदिया ने कहा कि उनके दिमाग में कुछ विशेष प्रश्न थे।

सिसोदिया कहते हैं, “मेरे सवाल जांच से ज्यादा ऑपरेशन से संबंधित थे। जैसे कि उसने कैसे और कहां ट्रेनिंग ली? उसका लक्ष्य क्या था? पूछताछ के दौरान शुरूआत में मैंने उर्दू और हिंदी में सवाल किए, लेकिन बाद में उसकी मातृभाषा पंजाबी में बात करने लगा ताकि वह कंफर्ट हो जाए। इसके बाद मैंने उससे पूछा, ‘यदि तुम्हे वापस जाने की इजाजत दी जाए तो तुम क्या करोगे?’ उसने कहा, ‘मैं जाके अपने मां-पिता की सेवा करूंगा।’ यह पहला मौका था जब उसने अपना भावनात्मक रूख दिखाया था।” बता दें कि मुंबई हमले के दौरान करीब 166 लोग मारे गए थे। जिंदा पकड़े गए एकमात्र आरोपी कसाब को वर्ष 2012 में पुणे की यरवदा जेल में फांसी दे गई थी।