CAA NRC Protest: नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप (एनआरसी) की संभावना ने न सिर्फ राजनीतिक तनाव बढ़ा दिया है बल्कि सरकारी डेटा क्लेक्शन के प्रयास को अवरूद्ध कर दिया है। आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में नेशनल सैंपल सर्वे के लिए डेटा संग्रह करने वाले सरकारी कर्मचारियों को परेशान किया जा रहा है। उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। गणनाकर्मियों को राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) के लिए महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक डेटा एकत्र करने से रोका जा रहा है।
लोगों के बीच यह भय व्याप्त हो गया है कि इस डेटा का इस्तेमाल एनआरसी के लिए किया जाएगा। मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में एनएसएस डेटा क्लेक्शन काम में लगे जूनियर सांख्यिकी अधिकारी के ऊपर हमला किया गया। जिस वक्त हमला हुआ, उस समय वे सर्वे के 78वें राउंड के लिए डेटा क्लेक्शन कर रहे थे।
एनएसएसओ के गुंटूर फिल्ड ऑफिस के उप-क्षेत्रीय अधिकारी और गणनाकर्मियों के प्रबंधक एलएलएन चारयूलू ने कहा, “वह (गणनाकर्मी) नियम के मुताबिक म्यूनिसिपल ऑफिसर के साथ डेटा क्लेक्शन के लिए गए थे लेकिन स्थानीय लोगों (जिसमें स्थानीय नेता भी शामिल थे) ने मामले को उल्टा समझ लिया। उन्हें लगा कि यह सब एनआरसी के लिए किया जा रहा है जबकि हमने प्रचार-प्रसार के माध्यम से सभी बातों को समझाने की कोशिश की है। अन्य कार्यों के लिए डेटा क्लेक्शन के दौरान भी दूसरे अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार किया गया है।”
1950 के बाद से इन सर्वेक्षणों ने भारत के सांख्यिकीय बुनियादी ढांचे की रीढ़ बनाई है। एनएसएस डेटा जिसमें खपत और बेरोजगारी जैसे सामाजिक-आर्थिक परिणामों की एक श्रृंखला की जानकारी शामिल है, का उपयोग प्रमुख सरकारी नीति को सूचित करने के लिए किया जाता है। पिछले दो वर्षों में एनएसएस डेटा जारी करने में विफल रहने को लेकर सरकार की आलोचना की गई है। यह पहली बार है जब ऐसा लग रहा है कि डेटा क्लेक्शन नहीं भी हो सकता है।
पश्चिम बंगाल में एनएसएस डेटा से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया, “फील्ड ऑफिसर पर हमले आए दिन देखने को मिल रहा है। यदि यही स्थिति बनी रहती है, तो 1950 के बाद यह पहली बार होगा कि एनएसओ डेटा एकत्र नहीं होगा।” इस मामले में एनएसएस के फील्ड ऑफिसर के डिप्टी डीजी ने पश्चिम बंगाल पुलिस और स्टेट अर्बन डेवलपमेंट मंत्रालय के सामने यह मसला उठाया है।
एनआरसी के डर से डेटा की गुणवत्ता पर भी असर पड़ सकता है। भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रोनाब सेन कहते हैं कि यदि एनएसएस को लेकर आशंकाएं बढ़ती हैं, तो सर्वेक्षण की विश्वसनीयता संदिग्ध हो जाती है। संदिग्ध डेटा हाल के वर्षों में विश्वसनीयता के साथ संघर्ष करने वाली सांख्यिकीय प्रणाली पर दबाव बढ़ाएगा। एनआरसी का डर भारत के जनगणना के आंकड़े को भी प्रभावित कर सकता है।