देश में सुदूर पूर्वोत्तर से लेकर दक्षिण-पश्चिम और उत्तर के सात राज्यों में माध्यमिक स्तर पर विद्यार्थियों के बीच में ही पढ़ाई छोड़ने यानी ‘ड्रापआउट’ की दर राष्ट्रीय औसत 12.6 फीसद से अधिक है। इन राज्यों में बिहार, आंध्र प्रदेश, असम, गुजरात, कर्नाटक, मेघालय, पंजाब आदि शामिल हैं। वहीं, बिहार से दीगर दो बड़े हिंदी भाषी राज्यों मध्य प्रदेश में माध्यमिक स्तर पर ड्रापआउट दर 10.1 फीसद और उत्तर प्रदेश में 12.5 फीसद दर्ज की गई है।
केंद्र सरकार ने इन राज्यों को यह दर कम करने के लिए विशेष कदम उठाने का सुझाव दिया है। समग्र शिक्षा कार्यक्रम पर शिक्षा मंत्रालय के तहत परियोजना मंजूरी बोर्ड (पीएबी) की 2023-24 की कार्य योजना संबंधी बैठकों के कार्यवृति दस्तावेजों (मिनट्स) से यह जानकारी मिली है।
ये बैठकें अलग-अलग राज्यों के साथ मार्च से मई 2023 के दौरान हुर्इं। सरकार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में लक्षित साल 2030 तक स्कूली शिक्षा के स्तर पर 100 फीसद सकल नामांकन दर (जीईआर) हासिल करना चाहती है और बच्चों के बीच में पढ़ाई छोड़ने को इसमें बाधा मान रही है। पीएबी की बैठक के दस्तावेज के अनुसार 2021-22 में बिहार में स्कूलों में माध्यमिक स्तर पर ‘पढ़ाई छोड़ने वालों’ की दर 20.46 फीसद, गुजरात में 17.85 फीसद, आंध्र प्रदेश में 16.7 फीसद, असम में 20.3 फीसद, कर्नाटक में 14.6 फीसद, पंजाब में 17.2 फीसद, मेघालय में 21.7 फीसद दर्ज की गई। वहीं, इस अवधि में मध्य प्रदेश में माध्यमिक स्तर पर ड्रापआउट दर 10.1 फीसद, उत्तर प्रदेश में 12.5 फीसद और त्रिपुरा में 8.34 फीसद दर्ज की गई।
दस्तावेज के मुताबिक संबंधित अवधि में दिल्ली में स्कूलों में प्राथमिक स्तर पर नामांकन में तीन फीसद की वृद्धि दर्ज की गई जबकि माध्यमिक स्तर पर नामांकन में करीब पांच फीसद की गिरावट आई। इसमें कहा गया कि दिल्ली में स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर काफी संख्या में विद्यार्थी हैं, ऐसे में शिक्षा की मुख्यधारा में वापस लाए गए विद्यार्थियों की संख्या के बारे में प्रदेश को ‘प्रबंध पोर्टल’ पर जानकारी अपलोड करनी चाहिए।
बैठक में मंत्रालय ने कहा कि पश्चिम बंगाल में माध्यमिक स्कूली स्तर पर 2020-21 की तुलना में 2021-22 में ‘ड्रापआउट’ दर में काफी सुधार दर्ज किया गया, हालांकि राज्य को विद्यार्थियों के बीच में पढ़ाई छोड़ने की दर को और कम करने के लिए पर्याप्त कदम उठाने चाहिए।दस्तावेज के अनुसार महाराष्ट्र में माध्यमिक स्तर पर ‘पढ़ाई छोड़ने वालों’ की दर 2020-21 के 11.2 फीसद से बेहतर होकर 2021-22 में 10.7 फीसद दर्ज की गई। हालांकि यह ध्यान देना महत्त्वपूर्ण है कि राज्य के पांच जिलों में ‘ड्रापआउट’ दर 15 फीसद या उससे अधिक है।
यूपी के कई जिलों में दर 15 फीसद से ज्यादा
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में वार्षिक औसत ‘ड्रापआउट’ दर 15 फीसद से अधिक रही जिसमें बस्ती में 23.3 फीसद, बदायूं (19.1), इटावा (16.9), गाजीपुर (16.6), एटा (16.2), महोबा (15.6), हरदोई (15.6) और आजमगढ़ में यह 15 फीसद दर्ज की गई। दस्तावेज के अनुसार राजस्थान में ‘ड्रापआउट’ दर में सतत रूप से गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, अनुसूचित जनजाति से संबंधित ‘ड्रापआउट’ दर नौ फीसद और मुसलिम बच्चों (18 फीसद) में माध्यमिक स्कूली स्तर पर यह अभी भी अधिक है।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष के पिछले साल के एक सर्वेक्षण में लड़कियों के बीच में स्कूल छोड़ने के कारणों में कहा गया था कि 33 फीसद लड़कियों की पढ़ाई घरेलू कार्य करने के कारण छूट गई। इसके अनुसार कई जगहों पर यह भी पाया गया कि बच्चों ने स्कूल छोड़ने के बाद परिजनों के साथ मजदूरी या लोगों के घरों में सफाई करने का काम शुरू कर दिया।