फरीदाबाद के धौज स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी (Al Falah Medical College) के पास एक किराए के मकान में रह रहे आतंकी गतिविधि में संदिग्ध जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. मुजम्मिल गनई (Dr Muzammil Ganai) की गिरफ्तारी से पहले उसके घर से सामान गायब करने की बात सामने आई है। मकान मालिक हाजी मद्रासी ने इंडियन एक्सप्रेस से बताया कि गिरफ्तारी से तीन दिन पहले दो कश्मीरी लोग कॉम्प्लेक्स में आए और खुद को डॉक्टर मुजम्मिल का परिचित बताया। उन्होंने कहा कि वे कमरे का सामान लेने आए हैं।

हाजी मद्रासी के मुताबिक, डॉ. मुजम्मिल गनई ने फोन पर इस बात की पुष्टि की, तो उन्होंने भरोसा करते हुए उन्हें अनुमति दे दी। लेकिन थोड़ी ही देर में दोनों ने कमरे का ताला तोड़ा और कुछ सामान उठा ले गए। हाजी मद्रासी (Haji Madrasi) को तब भी अंदाजा नहीं था कि क्या हो रहा है। मद्रासी ने बताया, “अगले ही दिन करीब 20-30 कश्मीरी पुलिसकर्मी आए और उसी फ्लैट से और सामान ले गए। तब मुझे शक हुआ कि मामला गंभीर है। उसके बाद से मैं बहुत परेशान हूं।”

उन्होंने बताया कि सितंबर में डॉक्टर मुजम्मिल ने उनसे कमरा किराए पर लिया था। “उन्होंने दो महीने का 2,400 रुपये एडवांस दिया था। मैंने पुलिस वेरिफिकेशन नहीं करवाया, क्योंकि मेरे ज्यादातर किरायेदार बाहर के होते हैं और कम समय के लिए रहते हैं।”

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अल फलाह मेडिकल कॉलेज में डॉ. मुजम्मिल की गिरफ्तारी की खबर से छात्र और शिक्षक दोनों हैरान हैं। कॉलेज के छात्रों ने बताया कि वह आपातकालीन विभाग में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर थे और ज्यादातर अपने काम तक सीमित रहते थे। मेडिकल कॉलेज के अधिकतर एमबीबीएस छात्रों का संस्थान के आपातकालीन विंग में कार्यरत जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. मुजम्मिल गनई से कोई सीधा संपर्क नहीं था, जिन्हें 30 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने “अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय आतंकी मॉड्यूल” से जोड़ने के बाद गिरफ्तार किया था।

तीसरे वर्ष के एक छात्र ने कहा, “हमें उनके बारे में तब पता चला जब गिरफ्तारी की खबर आई। उनके साथ काम करने वाले भी ज्यादा कुछ नहीं जानते थे।”

30 अक्टूबर को हरियाणा और जम्मू-कश्मीर पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में मुजम्मिल को गिरफ़्तार किया गया। पुलिस ने दावा किया कि उसका संबंध अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय आतंकी मॉड्यूल से है। छापेमारी में पुलिस को लगभग 360 किलो विस्फोटक (संदिग्ध अमोनियम नाइट्रेट) बरामद हुआ। जांच एजेंसियां यह भी पता लगाने में जुटी हैं कि तीन दिन पहले फ्लैट से सामान ले जाने वाले लोग कौन थे, और क्या वे इसी नेटवर्क से जुड़े थे।

कॉलेज के छात्रों ने बताया कि इन घटनाओं के बाद माहौल बेहद तनावपूर्ण है। एक छात्र ने कहा, “हम सोच रहे हैं कि इतनी बड़ी चीज हमारे आसपास होती रही और किसी को पता नहीं चला।” वहीं, कॉलेज प्रशासन और मेडिकल कॉलेज दोनों से संपर्क की कोशिश की गई, लेकिन किसी ने प्रतिक्रिया नहीं दी।

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अल फलाह विश्वविद्यालय में, प्रतिदिन 150 से 200 छात्रों वाले एमबीबीएस पाठ्यक्रमों के पांच बैच संचालित होते हैं। 1997 में एक औषधालय (Dispensary) के रूप में स्थापित, इस कॉलेज ने 2003 में एक कॉलेज के रूप में बीटेक पाठ्यक्रम शुरू किए। 2014 में, विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त होने के बाद, इसने स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री पाठ्यक्रम शुरू किए। 2019 में, इसने स्नातक चिकित्सा कक्षाएं (UG medical classes) शुरू कीं और दो साल पहले, इसने स्नातकोत्तर चिकित्सा कक्षाएं (PG medical classes) भी शुरू कीं। इसे NAAC से ‘A’ ग्रेड मान्यता प्राप्त है।

अल फलाह विश्वविद्यालय का संचालन अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। वर्तमान में विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. भूपिंदर कौर आनंद (Dr Bhupinder Kaur Anand) हैं, जो मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल भी हैं।

एमबीबीएस के तीसरे वर्ष के एक छात्र ने बताया कि उसने डॉ. उमर नबी (Dr Umar Nabi) को करीब दस दिन पहले देखा था, जब वह एक कक्षा में पढ़ाने आए थे। 22 वर्षीय छात्र ने कहा, “एक शिक्षक के तौर पर वे ठीक थे, लेकिन ज़्यादातर अपने आप में रहते थे।” उसने बताया कि डॉ. मुजम्मिल बहुत कम कक्षाएं लेते थे, जबकि डॉ. शाहीन अंसारी (Dr Shaheen Ansari) नियमित रूप से पढ़ाती थीं।

छात्र ने कहा, “वह हमारी एमडी (फार्माकोलॉजी) थीं। मैं डॉ. उमर नबी और डॉ. शाहीन अंसारी, दोनों की कक्षाओं में शामिल हुआ था। मैंने कभी तीनों (मुजम्मिल, उमर, शाहीन) को एक साथ नहीं देखा।”