यूक्रेन युद्ध के बाद यह क्षरण और तेज हो गया है। अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक, आइ-आइडिया (इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फार डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस) की ताजा रिपोर्ट में यह बात कही गई है। संस्था के महासचिव केविन कैसस-जमोरा के मुताबिक, ‘लोकतंत्र के लिए अब अप्रत्याशित मुश्किलें देख रहे हैं। राजनीतिक और आर्थिक संकटों ने इन मुश्किलों को और गहरा दिया है। महामारी और यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट ने इन मुश्किलों को जन्म दिया।’
आइ-आइडिया ने उन देशों की सूची जारी की है जहां लोकतंत्रिक व्यवस्था सबसे ज्यादा नुकसान में है। इन देशों को पीछे की ओर खिसक रहे देश कहा गया है। पिछले साल इनकी संख्या छह थी और पहली बार अमेरिका को इनमें शामिल किया गया था। इस बार यह संख्या बढ़कर सात हो गई है और अल सल्वाडोर को भी इस सूची में जोड़ गया है। अन्य देशों है- ब्राजील, हंगरी, भारत, मारिशस और पोलैंड।
कैसस-जमोरा ने कहा कि अमेरिका की स्थिति खासतौर पर चिंताजनक है। उन्होंने कहा, ‘हम अमेरिका में जो देख रहे हैं, उसे लेकर तो मैं खासौतर पर चिंतित हूं।’ रिपोर्ट कहती है कि इन देशों में राजनीतिक ध्रुवीकरण, संस्थागत अकर्मण्यता और नागरिक आजादी को खतरे बढ़ रहे हैं। अमेरिका के बारे में कैसस-जमोरा ने कहा, ‘अब तक यह स्पष्ट है कि नई सरकार चुने जाने से जो बुखार चढ़ा हुआ था, वह उतरा नहीं है।
ध्रुवीकरण का स्तर बहुत ज्यादा है और बिना किसी सबूत के चुनावों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया जा रहा है। यौन और प्रजनन अधिकारों में अमेरिका के कदम पीछे की ओर जा रहे हैं, जो अद्वीतीय है। ज्यादातर देश, बल्कि लगभग सारे ही देश यौन और प्रजनन अधिकारों के मामले में आगे की ओर बढ़ रहे हैं।’ आइ-आइडिया के मुताबिक, जिन 173 देशों का अध्ययन किया गया है उनमें से 104 में लोकतंत्र है और 52 में उसका क्षरण हो रहा है। 27 देश एकाधिकारवादी व्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं, जबकि 13 लोकतंत्र की ओर।
रिपोर्ट कहती है कि जिन देशों में लोकतंत्र नहीं हैं उनमें से लगभग आधे और ज्यादा दमनकारी हो गए हैं। रिपोर्ट में अफगानिस्तान, बेलारूस, कंबोडिया, कोमोरोस और निकारागुआ का नाम लेकर कहा गया है कि यहां स्थिति में बड़ी गिरावट आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया में 54 फीसद लोग लोकतंत्र में रहते हैं और तानाशाही व्यवस्थाएं मजबूत हो रही हैं। अफ्रीका की यह कहते हुए तारीफ की गई है कि मुश्किल परिस्थितियों और अस्थिरता के खतरों के बावजूद वहां मुकाबला किया जा रहा है।
अरब क्रांति के एक दशक गुजर जाने के बावजूद मध्य-पूर्व ‘दुनिया का सबसे ज्यादा एकाधिकारवादी क्षेत्र’ बना हुआ है, जहां सिर्फ तीन देशों में लोकतंत्र है – इराक, इजराइल और लेबनान। यूरोप के कुल देशों में से लगभग आधे यानी 17 ऐसे हैं, जहां पिछले पांच साल में लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट आई है।
इस बात को लेकर चिंता जताई गई है कि जिन देशों में लोकतांत्रिक मूल्यों का स्तर बेहतर था, वहां भी अब परेशान करने वाली बातें दिखने लगी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, अस्थिरता और व्यग्रता के दौर में लोकतंत्रों के लिए संतुलन बनाना मुश्किल होता जा रहा है। लोकलुभावन बातें करने वाले मजबूत हो रहे हैं और लोकंतांत्रिक विकास या तो रुक गया है या फिर पीछे की ओर जा रहा है। पिछले पांच साल में सभी मानकों पर विकास पूरी तरह रुक गया है और स्थिति वैसी ही हो गई है जैसी 1990 के दशक में थी।
क्या हैं मानक
आइ-आइडिया एक अंतर-सरकारी संस्था है। इसके 34 सदस्य देश हैं जो लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के अध्ययन में मदद करते हैं। पिछले चार साल से यह संस्था ‘ग्लोबल स्टेट आफ डेमोक्रेसी रिपोर्ट’ जारी कर रही है। इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए 1975 से अब तक के चलन और बदलावों का अध्ययन किया जाता है। इसके लिए 116 मानक हैं जिन पर हर देश को परखा जाता है। इन मानकों में लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व, मूलभूत अधिकार, लोगों की भागीदारी और आजादी जैसी बातें शामिल हैं।