उद्धव सरकार के मंत्री नवाब मलिक और पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की याचिकाओं पर कोर्ट ने कहा है कि विरोधी हैं सिर्फ इसलिए विरोध ना करे ईडी। एजेंसी सोच समझ कर जवाब दे। दरअसल दोनों ही नेता लंबे समय से जेल में बंद हैं। उनके वकीलों ने उपचार के लिए कोर्ट से अनुमति मांगी थी। कोर्ट का कहना था कि एक बार ईडी का जवाब आ जाए तभी वो इस मामले में कोई फैसला दे सकती है।

ईडी ने नवाब मलिक को बुखार और दस्त की शिकायत के बाद सोमवार को अस्पताल में भर्ती कराया है। आर्थर रोड जेल में बंद मलिक ने पिछले सप्ताह विशेष अदालत से चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत देने का अनुरोध किया था। मामले की सुनवाई के दौरान मलिक के वकील ने अदालत को बताया कि जब राकांपा नेता के परिजन उन्हें घर का खाना देने गए तो बताया गया कि उन्हें जेजे अस्पताल में दाखिल कराया गया है।

वकील ने अदालत को यह भी बताया कि मलिक पिछले तीन दिन से बीमार थे। उनकी हालत बिगड़ गई है और उनकी स्थिति गंभीर है। वकील ने अनुरोध किया कि मलिक को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया जाए, क्योंकि जेजे अस्पताल में कई चिकित्सा जांच सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।

स्पेशल जज आरएन रोकाडे ने जेल अधिकारियों से मलिक की स्थिति और उन्हें अस्पताल ले जाने के बारे में अदालत को सूचित नहीं करने पर नाराजगी जताई। जज ने अस्पताल से रिपोर्ट मांगी और मामले की अगली सुनवाई की तिथि पांच मई तय की। मलिक ने किडनी की बीमारी और पैरों में सूजन सहित कई बीमारियों का हवाला देते हुए चिकित्सा आधार पर छह सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत का अनुरोध किया था।

उधर, अनिल देशमुख के वकील ने भी इलाज के लिए जेजे अस्पताल की बजाए किसी बेहतर निजी अस्पताल में दाखिल होने की अनुमति मांगी है। उनके वकील का कहना है कि जेल में गिरने से देशमुख को चोट आई थी। उन्हें बेहतर इलाज की जरूरत है। जेजे अस्पताल में वो सुविधा मौजूद नहीं हैं। कोर्ट ने ईडी को कहा कि मेडिकल राय लेकर वो अपना जवाब दाखिल करें। इस मामले में राजनीति को बीच में न लाया जाए।